1.

चित्र में एक संधारित्र दर्शाया गया है जो 12 सेमी० त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटो को 5.0 सेमी० की दूरी पर रखकर बनायागया है। संधारित्र को एक बाह्य स्त्रोत (जो चित्र में नहीं दर्शाया गया है) द्वारा आवेशित किया जा रहा है। आवेशकारी धारा नियत है और इसका मान `0.15A` है। (a) धारिता एवं प्लेटों के बीच विभवान्तर परिवर्तन की दर का परिकलन कीजिए। (b) प्लेटों के बीच विस्थापन धारा ज्ञात कीजिए। (c) क्या किरचाफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर लागू होता है? स्पष्ट कीजिए।

Answer» प्लेट की त्रिज्या (r) = 12 सेमी० = `12xx 10^(-2)` मीटर
दो वृत्तीय प्लेटों के बीच की दूरी,
`d = 5` सेमी० `= 5xx 10^(-2)` मीटर
धारा (I) = 0.15 A
(a) समान्तर पटट् संधारित्र की धारिता,
`C = (epsi_(0) A)/(d)`
जहाँ, A प्लेटों का क्षेत्रफल,
`C = (8.854 xx 10^(-12) xx 3.14(12 xx 10^(-2))^(2))/(5 xx 10^(-2))`
`C =(8.854 xx 3.14 xx 144 xx 10^(-12-4 +2))/(5)`
` C = 8.01 xx 10^(-14) F = 8.01 pF`
संधारित्र की प्लेटों पर आवेश,
`q=CV`
` (dq)/(dt) = C .(dV)/(dt)`
` I = C .(dV)/(dt)" "[because .(dq)/(dt) = I]`
`(dV)/(dt) = (I)/(C)= (0.15)/(8.01 xx 10^(-12)) = 18.7 xx 10^(9)` वोल्ट/सेकण्ड
अतः विभव परिवर्तन की दर `18.7xx 10^(@)` वोल्ट/सेकण्ड
(b) विस्थापन धारा चालन धारा के बराबर है, `I_(d) = 0.15A`
(c) हाँ, किरचॉफ का प्रथम नियम वैद्य है क्योंकि हम संयुक्त धारा विस्थापन धारा तथा चालन धारा के योग के बराबर लेते हैं।


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