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देश में वर्तमान विविधताओं को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं?

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भारत की क्षेत्रीय विभिन्नता को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं-

विशालता- भारत एक विशाल देश है। उत्तर से दक्षिण में इसकी लम्बाई 3214 कि० मी० तथा पूर्व से पश्चिम तक की लम्बाई 2933 कि० मी० है। इतने विशाल देश में समान धरातलीय स्वरूप होना असम्भव है। वास्तविकता यह है कि यहां के विभिन्न क्षेत्र अनेक बातों में आपस में मेल नहीं खाते।
धरातल-भारत का धरातल एक समान नहीं है। यहां पर्वत, पठार और मैदान आदि सभी स्थल रूप में पाये जाते हैं। इस देश में तंग घाटियां भी हैं और विशाल मरुस्थल भी हैं।

जलवायु- भारत में समान रूप से वर्षा नहीं होती। इस देश में ऐसे स्थान भी हैं जहां संसार में सबसे अधिक वर्षा होती है और ऐसे मरुस्थलीय प्रदेश भी हैं जहां नाममात्र की वर्षा होती है। देश के उत्तर में विषम जलवायु पाई जाती है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत में गर्म तथा तटीय प्रकार की जलवायु मिलती है।

प्रवास- भारत में अलग-अलग दिशाओं तथा अलग-अलग प्रदेशों से लोग आकर अलग-अलग क्षेत्रों में बस गए। उत्तर-पूर्व में मंगोल जाति, उत्तर-पश्चिम में आर्य तथा मुसलमान जातियां तथा दक्षिण भारत में द्राविड़ जाति के लोग आकर बस गए।

संस्कृति- देश के विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग जातियों के लोग निवास करते हैं। उनकी भाषा, वेश-भूषा, खान-पान, रहन-सहन, लोकगीत, लोक नृत्य, मेले तथा त्योहार अलग-अलग हैं।
सच तो यह है कि धरातल और संस्कृति मिलकर क्षेत्रीय विभिन्नता को जन्म देते हैं।



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