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दिवाकर बैंच पर बैठकर क्या सोच रहा था?

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जिस समय सभी बच्चे रोज़ गार्डन में खेल-कूद रहे थे। झूला-झूल रहे थे। उस समय वहीं पास में एक बैंच पर बैठा दिवाकर अपनी पुरानी यादों में खोया हुआ था। वह दो साल पहले की घटना को याद कर, उसी में खोया था। उसे याद आता है कि दो साल पहले जब वह अपनी बड़ी मौसी के घर दिल्ली गया था तब उसने वहाँ फन सिटी में कितना मज़ा किया। उस समय फ़न सिटी में कितना खेला-कूदा था। वहाँ उसने खूब मस्ती की थी। यही सब विचार/ यादें उसके दिमाग में घूम रही थीं।



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