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| 1. | ‘गाय करुणा की कविता है।’ –उक्त कथन के आलोक में ‘गौरा’ रेखाचित्र की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए। | 
| Answer» गाय करुणा की साकार मूर्ति है और कविता भावों की संवाहिका। गाय के हृदय में करुणा के भावों का झरना झरता रहता है। गौरा संवेदनशील गाय थी। वह परोपकारी थी। अपने दुग्ध का दोहन कराकर वह दूसरों को पिलाती। पशु-पक्षी उसके साथ खेलते। कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के नीचे और पैरों के बीच में खेलते । पक्षी उसकी पीठ और माथे पर बैठकर उसके कान और आँख खुजाते वह शान्त खड़ी रहती। उनका स्नेह उसे अच्छा लगता। बीमार होने पर उसने इंजेक्शन की पीड़ा को सहा। कभी-कभी उसकी आँखों में आँसू की दो बूंदें आ जार्ती, उस पीड़ा को भी सहती। मृत्यु के निकट आने पर वह अधिक संवेदनशील हो गई। अंतिम समय में महादेवी के कंधे पर अपना सिर रखकर प्राण त्याग दिये। जब वह स्वस्थ थी तब महादेवी की गाड़ी की आवाज सुनकर उधर ही देखती और बाँ-बाँ की ध्वनि से पुकारती । भूख लगने पर रंभा-रंभाकर घर सिर पर उठा लेती। महादेवी की संवेदना भी उसके प्रति कम नहीं थी। जब वह मर गई तो उनका हृदय भावुक हो गया। उनके भावों में आया, आह, मेरा गोपालक देश । रेखाचित्र की मूल संवेदना मानवीय संवेदना है। महादेवी ने गाय के प्रति अपनी संवेदना को प्रकट किया है। | |