1.

गौरा महादेवी के बंगले पर आकर परिवार में हिल-मिल गई थी। स्पष्ट कीजिए।

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गौरा कुछ दिनों में सबसे हिल-मिल गई थी। पशु-पक्षी लघुता और विशालता का अन्तर भूल गये। कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के नीचे और पैरों के बीच में खेलते। पालतू पक्षी उसकी पीठ और माथे पर बैठकर उसके कान तथा आँखें खुजलाते। पर वह शान्त रहती। किसी प्रकार की चंचलती नहीं दिखाती। उनके साथ वह घुल-मिल गई थी। आँखें मूंदकर उनके सम्पर्क सुख का आनन्द लेती। दुग्ध दोहन के समय यदि कुत्ते-बिल्ली के आने में विलम्ब हो जाता तो वह रंभा-रंभा कर उन्हें बुला लेती। वह हमारी आवाज और पैरों की आहट पहचानती थी। भोजन के समय में विलम्ब हो जाता तो जोर-जोर से रंभाने लगती । इस प्रकार वह हमारे परिवार का सदस्य बन गई थी और सबसे हिलमिल गई थी।



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