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| 1. | गौरा रेखाचित्र की विशेषताएँ लिखिए। | 
| Answer» गौरा रेखाचित्र भाषा और शैली दोनों दृष्टियों से अपनी विशेषता रखता है। इसकी कतिपय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – भाषा – रेखाचित्र की भाषा सरल एवं साहित्यिक है। तत्सम शब्दावली का प्रयोग हुआ है; यथा-वय: संधि, प्रतिफलित, साहचर्य, पयस्विनी आदि। कहीं-कहीं मुहावरों की छींटें भी देखने को मिलती हैं। भावात्मकता के कारण कहीं-कहीं भाषा गंभीर हो गई है। अलंकारिक भाषा होने के कारण उसमें उत्कृष्ट कोटि का सौन्दर्य देखने को मिलता है। भाषा में प्रतीकात्मक शैली को भी प्रयोग हुआ है। भाषा में प्रतीकात्मकता का भी प्रयोग हुआ है। मानवीय संवेदना – रेखाचित्र में मानवीय संवेदना का अच्छा चित्रण है। जब गौरा अस्वस्थ हो गई और उसने खाना कम कर दिया तो महादेवी की उसके प्रति संवेदना अधिक बढ़ गई। वे उसे रात में भी कई बार देखने जातीं । जब उसके प्राण निकलने लगे तो उनका हृदय रो पड़ा। गौरा ने उनके कन्धे पर अपना सिर रखकर अपने प्राण त्याग दिये। तब उनके हृदय से निकला यह कैसा गोपालक देश है, जहाँ गायों की ऐसी निर्मम हत्या की जाती है। मानवीय संवेदना इसका मूल भाव है। आलंकारिक शैली – रेखाचित्र में आलंकारिक शैली का प्रयोग हुआ है। उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग अधिक है। गौरा के कान छोटे थे उनके लिए अधखुली पंखुड़ियों की उपमा दी गई है। उसके शरीर के ओज की इटैलियन मार्बल से समता की गई है। उसकी आँखों पर दिये की लौ जब पड़ती तो लगती मानो कई दीपक झिलमिला रहे हों अथवा काली लहर पर कई दिये प्रवाहित कर दिये गए हों। माथे पर आँखों का उत्कृष्ट आलंकारिक वर्णन है। वे ऐसी लगती हैं मानो बर्फ के नीचे जल के कुण्ड हों। तीव्र एवं मन्थर गति के लिए बाण की तीव्र गति और मन्द समीर की गति से समता की गई है। चित्रोपमता – भाषा में चित्रोपमता अधिक है, जहाँ गौरा के शरीर एवं आँखों का वर्णन हुआ है उसे पढ़कर एक सुन्दर गाय को चित्र आँखों के सामने उभर कर आ जाता है। गौरा के पैरों, पीठ, कंधों, सींग, पूँछ का जो वर्णन है उसे पढ़कर गौरा को चित्र आँखों के सामने उभर कर आ जाता है। यह शब्दचित्र है जो महादेवी जी ने रेखाचित्र में प्रस्तुत किया है। महादेवी जी शब्दों के द्वारा ऐसा वर्णन करती हैं कि आँखों के सामने एक बिम्ब उभर आता है। इसे बिम्ब योजना भी कह सकते हैं। लालमणि का भी ऐसा ही चित्रात्मक वर्णन है। यथार्थता – रेखाचित्र में मानव मन का यथार्थ चित्रण हुआ है। स्वार्थी व्यक्ति व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कैसे जघन्य पाप कर देते हैं। इसका यथार्थ वर्णन पढ़ने को मिलता है। ग्वाले ने व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण गौरा को सुई खिलाई। यह स्वार्थी और ईष्र्यालु व्यक्ति का यथार्थ चित्रण है। अपनों से लगाव होने से जो सुख मिलता है और बिछोह पर जो पीड़ा होती है उसका भी यथार्थ वर्णन है। गौरा के महादेवी के घर आने पर सभी को कैसी प्रसन्नता हुई और उसकी मृत्यु पर महादेवी को जो पीड़ा हुई इसका यथार्थ वर्णन है। पशुओं में भी अपनत्व होता है इसका भी यथार्थ वर्णन पढ़ने को मिलता है। | |