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| 1. | ‘गौरा रेखाचित्र में गाय के अंतरंग व बाह्य सौन्दर्य के साथ मानवीय संवेदना का रेखांकन है।’ स्पष्ट कीजिए। | 
| Answer» गौरा का बाह्य सौन्दर्य जितना आकर्षक है। उसका अन्तरंग भी उतना ही संवेदना युक्त है। गौरा स्वस्थ थी और स्वस्थ पशु की तरह उसके गौर वर्ण में चमक भी थी। उसकी उज्ज्वलता एवं धवलता देखकर ऐसा लगता था, मानो किसी ने उसके रोमों पर अभ्रक का चूर्ण मल दिया हो। जिधर प्रकाश पड़ता उधर का भाग विशेष रूप से चमकने लगता । उसका सम्पूर्ण शरीर साँचे में ढला हुआ प्रतीत होता। पैरों में लचीलापन था पर वे पुष्ट थे। उसके पुट्टे भरे हुए थे। पीठ भरी हुई थी और चिकनी थी। उसकी गर्दन लम्बी और सुडौल थी, सिर पर छोटे-छोटे सग निकल रहे थे। कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान थे जो भीतर की लालिमा की झलक दे रहे थे। पूँछ लम्बी थी और अन्तिम छोर पर काले बाल थे जो चामर का स्मरण कराते थे। मुख पर काली आँखें थीं जो इस प्रकार लगती र्थी मानो जल के नीचे दो कुण्ड हों। आरती के समय उसकी आँखों पर जब दिये की लौ पड़ी तो लगा मानो कई दिये झिलमिला रहे हों। वह स्नेहमयी थी ममतामयी थी । बंगले पर आते ही वह सबसे हिलमिल गई। पशु-पक्षी उसके पास खेलने लगे। कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के नीचे और पैरों के बीच में खेलते । पक्षी उसकी पीठ पर बैठकर कान और आँख खुजलाते। वह मानवीय स्नेह की भूखी थी। महादेवी की मोटर जैसे ही आती वह बाँ-बाँ करके पुकारती। पास आने पर गर्दन आगे बढ़ा देती, हाथ फेरने पर उनके कंधे पर मुख रख देती और आँख बन्द कर लेती। जाने पर मुड़-मुड़कर देखती। दुग्ध दोहन के समय कुत्ते-बिल्ली के विलम्ब से आने पर रंभा-रंभाकर उन्हें बुलाती। ऐसी आत्मीयता उसका सौन्दर्य थी। उसका अन्तरंग अपनत्व से भरा था। अन्तिम समय में भी उसने महादेवी के कन्धे पर अपना मुख रखकर प्राण त्यागे। रेखाचित्र का अन्तिम भाग मानवीय संवेदना से भरा है। गौरा के अस्वस्थ होने पर महादेवी चिन्तित हो गईं। उन्होंने उसका उपचार कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे रात-दिन बार बार उसे जाकर देखतीं। अन्तिम समय में वे उसके पास रहना चाहती थीं। गौरा को ले जाते समय महादेवी के हृदय में करुणा का समुद्र उमड़ आया। उन्हें अत्यधिक पीड़ा हुई।’ गौरा’ रेखाचित्र मानवीय संवेदना का अच्छा उदाहरण है। | |