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हिसाबी मानांक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

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भारत में 21 अप्रैल, 1977 के दिन धी इन्स्टिट्युट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टन्स् ऑफ इंडिया (ICAI) जो एक हिसाबी व्यवसाय की संस्था है उसके द्वारा प्रकाशित किये जानेवाले एकसमान हिसाबी नियम और मार्गदर्शक विधान है जिसे वित्तीय पत्रक तैयार करने में तथा उसकी प्रस्तुती करने में ध्यान में लिये जाते है । हिसाबी मानांक में दिये गये नीति नियम या मार्गदर्शन सामान्यत: वित्तीय (मौद्रिक) पत्रकों में दिये जानेवाले हिसाबी जानकारी के मूल्यांकन और प्रस्तुती के संदर्भ में होता है । जिसके आधार पर लेखाकार पर कानून के द्वारा लगाया गया नीतिविषयक बंधन है । भारत में मध्यस्थ सरकार के द्वारा नेशनल एडवाईजरी कमिटी ओन एकाउन्टिंग स्टान्डर्ड्स [National Advisory Committee on Accounting Standards (NACAS)] के साथ चर्चा-विचारणा करके तारीख 16.2.2015 के दिन तारीख 01.4.2015 से अस्तित्व में आये इस प्रकार कंपनीझ (हिसाबी मानांक) नियम, 2015 बाहर प्रकाशित किये गये है । इस नियम के अनुसार उसमें दर्शायी गयी कंपनीयाँ और उसके ओडिटरों के द्वारा उसमें बताये गये भारतीय हिसाबी कक्षा (Ind AS) का पालन क्रमशः वित्तीय पत्रक तैयार करना और उसका ओडिट करना है ।

किसी भी विषयवस्तु पर चर्चा-विचारणा के बाद हिसाबी मानांक का कच्चा विवरण प्रस्तुत कर संबंधित पक्षकारों के पास से उस पर सूचनाएँ प्राप्त की जाती है । उसके बाद समग्र दृष्टि से विचार करके हिसाबी मानांक बाहर प्रकाशित किये जाते है । पहले थोड़ा बहुत और बाद में उसे अनिवार्य रूप से लागु कर दिया जाता है ।

हिसाबी मानांक की रचना का उद्देश्य हिसाबी नीतियों में एकरूपता लाना, वैकल्पिक पद्धतियों में से आवश्यक पद्धति का उपयोग करना, उपयोगकर्ताओं का मौद्रिक पत्रकों में विश्वसनीयता बढ़ाना है ।



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