InterviewSolution
| 1. |
हिसाबी मानांक (स्तरों) का अर्थ बताकर उसका ख्याल समझाइए । |
|
Answer» कोहलर के मतानुसार, ‘हिसाबी मानांक (स्तर) यह रिवाज, कानून और व्यवसायी संस्था के द्वारा लेखाकार पर लगाया गया नीतिविषयक कलम है ।’ हिसाबों में एकरुपता और समानता लाने के उद्देश्य से 1973 के वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय हिसाबी समिति (International Accounting Standards Committee अथवा IASC) की स्थापना की गई । भारत में 21 अप्रैल, 1977 के दिन धी इन्स्टिट्युट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्ट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के द्वारा हिसाबी मानांक तैयार करने के लिये एकाउन्टिंग स्टान्डर्ड्स बोर्ड (Accounting Standards Board (ASB)) की रचना की गई । ICAI द्वारा भारतीय मानांक बाहर प्रकाशित किया गया है । हिसाबी मानांक में दिये गये नियम या नीतियों या मार्गदर्शन सामान्य रूप से वित्तीय पत्रकों में दी गई हिसाबी जानकारी का मूल्यांकन और प्रस्तुती संबंधी है । हिसाबी व्यवसाय की संस्था द्वारा हिसाबी क्षेत्र तय किये जाते है जिसमें वैकल्पिक और अलग अलग नीतियों का अनुसरण किया जाता है । चर्चा-विचारणा के पश्चात् उसमें सुधार का मार्गदर्शन मँगवाया जाता है । आवश्यक परिवर्तन लगे तो वह करके पहले कुछ क्षेत्रों में और फिर अनिवार्य रूप से किया जाता है । ऐसे हिसाबी निर्णय कुछ इकाईयाँ या सभी इकाईयों को लागु किया जा सकता है । . अगर हिसाबी मानांक पर विविध वैकल्पिक पद्धतियाँ हो तब कौन-सी पद्धति को अपनाना वह कितनी योग्य है और भविष्य में उसमें परिवर्तन को अवकाश रहेगा या नहीं इन सभी बातों को ध्यान में लिया जाता है । हिसाबी मानांक प्रवर्तमान देश का कानून और धंधे के वातावरण को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है । इसलिये जब वातावरण और कानून में परिवर्तन हो तब हिसाबी मानांक में भी परिवर्तन होना चाहिए । |
|