1.

जाकी ज्योति बरै दिन राती’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

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ईश्वर रूपी ज्योति ऐसी है जो निरन्तर जलती रहती है, जो कभी बुझती नहीं है। यह निरन्तर प्रज्ज्वलित रहती है। ईश्वर रूपी ज्योति पूरे संसार को आलोकित करती रहती है।



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