1.

जनहित याचिका को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।

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कोई भी पीड़ित व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में न्याय पाने के लिए तत्काल न्यायालय जा सकता है। किन्तु यदि मामला सामाजिक या सार्वजनिक हित का हो तो ऐसे मामलों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई भी व्यक्ति अदालत में जा सकता है। ऐसे मामलों को जनहित याचिका के माध्यम से उठाया जाता है।

इसमें कोई भी व्यक्ति या समूह सरकार के किसी कानून या काम के खिलाफ सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय में जा सकता है। ऐसे मामले जज के नाम पोस्टकार्ड पर लिखी अर्जी के माध्यम से भी चलाए जा सकते हैं। अगर न्यायाधीशों को लगे कि सचमुच  इस मामले में सार्वजनिक हितों पर चोट पहुँच रही है तो वे मामले को विचार के लिए स्वीकार कर सकते हैं।



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