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कबीर चक्की को भली वयों कहते हैं ?

Answer» कबीर ज्ञानमार्ग के साधक थे। निराकार ईश्वर ही उनका आराध्य था। वे मूर्तिपूजा के विरोधी थे।
कबीर के अनुसार यदि पत्थर की मूर्ति की पूजा करने से भगवान के दर्शन होते हो, तो मैं पूरे पहाड़ की पूजा करने के लिए तैयार हूँ। उनकी दृष्टि में पत्थर की मृर्ति की अपेक्षा आटा पीसने की चक्की बेहतर है, जिसका पीसा हुआ आटा सारी दुनिया खाती है
कबीर को पत्थर की मृर्ति की अपेक्षा पत्थर की चक्की भली लगती है, क्योंकि कम से कम उसकी कुछ उपयोगिता तो है।


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