InterviewSolution
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कहलाने एकत बसत, अहि,मयूर, मृग, बाघ |
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Answer» यह बसन्त न खरी अरी गरम न सीतल बातु। कहि क्यौं प्रगटैं देखियतु पुलकु पसीजे गातु॥561॥ खरी = अतयन्त। अरी = ऐ सखी। बातु = हवा। कहि = कहो। प्रगटैं = प्रत्यक्ष। पुलकु = रोमांच। पसीजे = पसीने से लथपथ। यह वसन्त ऋतु है। अरी सखी, न इसमें अत्यन्त गर्मी है और न (अत्यन्त) ठंडी हवा! कहो, फिर तुम्हारे पसीजे हुए-पसीने से लथपथ-शरीर में पुलकें प्रत्यक्ष क्यों दीख पड़ती हैं? नोट - गर्मी से पसीना निकलता है और सर्दी में रोंगटे खड़े हो जाते हैं। प्रीतम के साथ तुरत रति-समागम करके आई हुई नायिका में ये दोनों ही चिह्न देखकर सखी परिहास करती है। |
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