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कविता का सरल अर्थ :देख वीर बालक …………. जा अरी भाग जा।

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इस बहादुर बालक की धृष्टता को देखकर गुस्से से भरी हुई सिंहनी दहाड़ने लगी। यह देखकर बालक भरत ने गुस्से से कहा, “यदि तू मेरे इस खेल में खलल डालेगी, तो तू कभी मार खाएगी। फिर मैं तुम्हारे इस बच्चे को तुम्हें दूंगा नहीं।” बालक ने उसे डांटते हुए कहा कि जा, भाग जा जल्दी से यहाँ से।



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