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कवयित्री अमरों के लोक को क्यों ठुकरा देती हैं?

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कवयित्री महादेवी वर्मा जी का विश्वास है कि वेदना एवं करुणा उन्हें आनंद की चरमावस्था तक ले जा सकते हैं। उन्होंने वेदना का स्वागत किया है। उनके अनुसार जिस लोक में दुःख नहीं, वेदना नहीं, ऐसे लोक को लेकर क्या होगा? जब तक मनुष्य दुःख न भोगे, अंधकार का अनुभव न करे तब तक उसे सुख एवं प्रकाश के मूल्य का आभास नहीं होगा। जीवन नित्य गतिशील है। अतः इसमें उत्पन्न होनेवाले संदर्भो को रोका नहीं जा सकता। जीवन की महत्ता परिस्थितियों का सामना करने में है, उनसे भागने में नहीं। कवयित्री अमरों के लोक को ठुकराकर अपने मिटने के अधिकार को बचाये रखना चाहती हैं।



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