1.

मैंना को लक्ष्य कर गुरुदेव की लिखी कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए ।

Answer» गुरुदेव के बरामदे में एक लँगड़ी मैना रोज फुदकती रहता था गुरुदेव सूक्ष्म दृष्टि से मैना के करुण भाव का निरीक्षण करते थे। उसके करुण भाव से परिचित होकर गुरुदेव ने कहा, यह यहाँ रोज आकर फुदकती है। इसकी चाल में करुण भाव दिखाई देता है। गुरुदैव ने कहा कि यह मैना यूथप्रष्ट है। उसका पति से वियोग हुआ है।
गुरुदेव ने उस लँगड़ी मैना पर कविता लिखी, जिसमें उसके करुण भाव को लक्ष्य करते हुए वे कहते हैं, इस मैना को क्या हो गया है ? पता नहीं, क्यों यह दल से अलग होकर अकेती रहती है ? वह एक पैर से लँगड़ा भी रही है। रोज सुबह वह अकेले- अकेले सूखे पत्तों पर फुदकती हुई कौड़ों का शिकार भी करती रहती है। गुरुदेव के मतानुसार वह लँगड़ी मैना उनसे जरा भी नहीं डरती है, वह नाच-नाचकर बरामदे में चहलकदमी किया करती है
गुरुदेव कहते हैं, इसकी ऐसी दशा आखिर क्यों हो गयीहै? ऐसे भी हो सकता है कि समाज के किसी अपराध पर मैना को निर्वासन का दण्ड मिला हो या ऐसे भी हो सकता है कि दल का कोई अविचार मैना को पसन्द न हो, इसलिए उसने मान कर लिया हो। दूसरी मैनाओं की तरह शिरीप वृक्ष की शाखाओं पर उड़ते फिरना इस सँगड़ी मैना को क्यों पसन्द नहीं है ? दूसरी मैना कुछ दूरी पर ही है, बह घास पर उछलती-कूदती है, उड़ती-फिरती है, बक-बक, झक-झक करती है। गुरुदेव कहते हैं, कि ऐसा भी नहीं लगता कि किसी से इसे शिकायत हो। मैना को विरागी माने तो, इसकी चाल में वैराग्य भी नजर नहीं आता है। आग-सी जलती दो आँखें भी इसकी नहीं हैं। इस प्रकार मैना की करुण दशा को लक्ष्य कर गुरुदेव ने अनेक प्रकार से अनुमान लगाये हैं।


Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions