InterviewSolution
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला संभावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट तैयार करो। |
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Answer» होशंगाबाद (म.प्र.) जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए एकात्रित हुए थे। पिपरिया के निवासियों के अनुसार सरकार द्वारा ऐसा करना। उनके स्वतंत्रता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है जो उन्हें देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार देता है। किन्तु सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि सार्वजनिक हित में वह नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर सकती है और उसे सीमित कर सकती है। कुछ ही समय पहले दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पर बसे कई झुग्गी-झोंपड़ी वालों को वहाँ से हटा दिया गया है क्योंकि ऐसा करना उस स्थान के विका तथा जानवरों की रक्षा के लिए आवश्यक समझा गया था। उस जंगल में रहने वाले लोगों में राष्ट्रीय मानवाधिकार को एक पत्र लिखा जिसमें यह कहा गया कि सरकार किसी अन्य स्थान पर उनके पुनर्वास का प्रबन्ध करे। दिल्ली सरकार ने ऐसा किया। सर्वोच्च न्यायालय का हाल ही का एक निर्णय भी इसी बात का समर्थन करता है जिसमें नर्मदा बाँध की ऊँचाई को बढ़ाने के उद्देश्य से जिन लोगों को विस्थापित किया गया था, उनके पुनर्वास के लिए सरकार किसी अन्य स्थल पर प्रबन्ध करेगी। |
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