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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है। उस महिमा का मैं कायल हूँ। आदिकाल से इस विषय में पति से पत्नी की ही प्रमुखता प्रमाणित है और यह व्यक्तित्व का प्रश्न नहीं, स्त्रीत्व का प्रश्न है। स्त्री माया न जोड़े, तो क्या मैं जोड़ें? फिर भी सच सच है और वह यह कि इस बात में पत्नी की ओट ली जाती है। मूल में एक और तत्व की महिमा सविशेष है। वह तत्व है मनीबेग, अर्थात् पैसे की गरमी यो एनर्जी॥

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कठिन शब्दार्थ-आशय = तात्पर्य। महिमा = महत्ता। कायल होना = स्वीकार करना। आदिकाल = प्राचीनकाल। प्रमुखता = प्रधानता। माया = धन। ओट लेना = बहाना बनाकर बचना। मूल = जड़े। एनर्जी = शक्ति।

सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘बाजार दर्शन’ पाठ से लिया गया है। इसके लेखक जैनेन्द्र कुमार हैं। लेखक के एक मित्र कोई मामूली सामान लेने बाजार गए थे, लौटे तो उनके पास सामान के कई बण्डल थे। लेखक को उन्होंने बताया कि बाजार जाने पर उनको इतना अधिक सामान पत्नी के कारण खरीदना पड़ा।

व्याख्या–लेखक कहता है कि उसके मित्र ने ज्यादा सामान खरीदने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी पर डाल दी और उसे उसकी महिमा बताया। लेखक का कहना है कि पत्नी की महिमा को तो वह भी मानता है। अधिक सामान खरीदने और जोड़ने में प्राचीनकाल से ही पति की अपेक्षा पत्नी को प्रधानता अधिक रही है। यहाँ व्यक्तित्व नहीं स्त्रीत्व का विधान है अर्थात् सामान जोड़ना पुरुषों का नहीं स्त्रियों का स्वभाव होता है। धन-दौलत, सम्पत्ति जोड़ना स्त्रियों का काम है। तब भी सच्चाई को बहाने बनाकर छिपाया नहीं जा सकता। सच्चाई यह है कि पुरुष जो फिजूलखर्ची करता है उसके लिए पत्नी को जिम्मेदार बताकर बहाने से स्वयं को बचा लेता है। खर्च अथवा आवश्यकता से अधिक खर्च करना एक और बात पर निर्भर करता है। वह बात है मनी बैग, बटुआ अर्थात् उसमें रखा हुआ पैसा और उसकी क्रय शक्ति। जितना अधिक धन होगा, बाजार से उतनी ही ज्यादा खरीदारी की जायेगी।

विशेष-
1. ज्यादा खरीदना और घर में चीजें इकट्ठा करना स्त्रियों का स्वभाव माना जाता है। पुरुष इसी का बहाना बनाकर फिजूलखर्ची करते हैं।
2. ज्यादा चीजें खरीदने के लिए ज्यादा पैसा पास में होना भी आवश्यक है।
3. भाषा तत्सम शब्द प्रधान है उसमें कोयल, मनीबैग, एनर्जी आदि उर्दू तथा अंग्रेजी भाषा के शब्दों तथा माया, जोड़ना, ओट लेना आदि मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है।
4. शैली में व्यंग्य विनोद का पुट है।



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