InterviewSolution
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मिला सेव्य का हमें पुजारीसकल काम उस न्यायी कामुक्ति लाभ कर्त्तव्य यहाँ है।एक-एक अनुयायी काकोटि-कोटि कंठों से मिलकरउठे एक जयनाद यहाँसबका शिव कल्याण यहाँ हैपावें सभी प्रसाद यहाँ। |
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Answer» [सेव्य = सेवा करने वाला। अनुयायी = किसी मत का अनुसरण करने वाला। जयनाद = जयघोष।] प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने भारतवासियों को भारतभूमि में जन्म लेने पर धन्य होने की बात । कही है। व्याख्या—इन पंक्तियों के माध्यम से कवि मैथिलीशरण गुप्त जी कह रहे हैं कि हमारा परम सौभाग्य है जो हमें इस पावन भूमि (भारत) में जन्म मिला और भारत माता की सेवा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यह ईश्वर की हमारे ऊपर बहुत बड़ी कृपा है। यहाँ के प्रत्येक अनुयायी का यह कर्तव्य बनता है कि वह इस मौके का सम्पूर्ण लाभ उठाकर मुक्ति प्राप्त करें। भारत माता के इस पावन मंदिर में करोड़ों स्वर एक साथ मिलकर जयघोष करते हैं अर्थात् यहाँ निवास करने वाले सभी लोग एक स्वर में जय-जयकार करते हैं। भारत माता के इस पावन मंदिर में सबके मंगलकारी कल्याण की कामना की जाती है और सभी को यहाँ परमसुख रूपी प्रसाद की प्राप्ति होती है। कहने का तात्पर्य है कि जिसने भारत में जन्म लिया है उसका यह सौभाग्य है कि उसने मोक्ष के मार्ग को खोज लिया है। काव्यगत सौन्दर्य- सुनूंगी माता की आवाज, |
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