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यशोधरा की मूल संवेदना अपने शब्दों में लिखिए।

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यशोधरा अपने पति के प्रति समर्पित है। जो उसके पति को मान्य है, वही यशोधरा को भी स्वीकार है। सिद्धि हेतु उनके जाने में भी वह गौरव अनुभव करती है। किन्तु उनके चुपचाप चोरी-चोरी, उससे कुछ कहे बिना चले जाना उसको बहुत पीड़ा पहुँचाता है। इसमें उसको अपनी उपेक्षा का भाव प्रतीत होता है यह उपेक्षा उसके विरह दु:ख को दूना कर देती है।



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