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‘ममता’ कहानी की प्रधान पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए।

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'ममता’ कहानी की प्रधान पात्र तथा नायिका ममता ही है। 

उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

मन्त्री की पुत्री-ममता के पिता रोहिताश्व राज्य के मंत्री हैं। वह उनकी स्नेहपालिता पुत्री है। उसके पिता चूड़ामणि उसको बहुत चाहते हैं। उसको दुखी तथा चिन्तित देखकर वह विचलित हो जाते हैं।

विधवा युवती-ममता विधवा है। वह युवती है। उसका यौवन शोण नदी के समान उफन रहा है। हिन्दू विधवा को संसार में अनेक कष्ट सहने पड़ते हैं। सब सुविधाएँ प्राप्त होने पर भी ममता का वैधव्य उसे बहुत पीड़ा पहुँचाता है।

संतोषी और बुद्धिमती-ममता संतोषी है। सामने थालों में रखी स्वर्ण-मुद्राओं को देखकर वह समझ जाती है कि उसके पिता ने शेरशाह से रिश्वत ली है। वह कहती है हम ब्राह्मण हैं। हमें इतना सोना नहीं चाहिए। यह अर्थ नहीं अनर्थ है। अतिथि सत्कार करने वाली-ममता अपने कर्तव्य अतिथि सत्कार से पीछे नहीं हटती । मुगल को एक बार वह शरण देने से मना कर देती है परन्तु बाद में उसको अपनी झोपड़ी में विश्राम करने को कह देती है। वह कहती है-”मैं ब्राह्मण कुमारी, सब अपना धर्म छोड़ दें, तो मैं भी क्यों छोड़ दें?” वह त्यागी तथा सभी के सुख-दुख में साथ देने वाली है। अपनी मृत्यु के पूर्व वह अपनी झोपड़ी की अश्वारोही को सौंप देती है।



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