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मँझली भाभी पर टिप्पणी लिखिए।

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मँझली बहू सदा दूसरों की हँसी उड़ाने में ही आनंद लेती है। स्वयं बात-बात पर हँसती रहती है। भाई के बारे में कहती है- आज भाई परेश की वह गति बनी कि बेचारा अपना-सा मुँह लेकर दादा जी के पास भाग गया। जबान है छोटी बहू की या कतरनी….. जब अंग्रेजी बोलने लगती है तो कुछ समझ में ही नहीं आता। परेश बेचारा अपना-सा मुँह लेकर रह जाता है। जाने तहसीलदार कैसे बन गया। कचहरी में होंगे तहसीलदार, घर में तो अपराधियों से भी गये बीते हैं। मालवी और बंसीलाल का भी मजाक उड़ाने में मँझली भाभी कभी चूकती नहीं। इस प्रकार छोटी बहू बेला के बारे में तथा घर के अन्य सभी सदस्यों के बारे में टीका-टिप्पणी करने में महारत हासिल है मँझली भाभी को।



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