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‘मत घबराना’ कविता में प्रकृति को प्रेरणास्त्रोत क्यों कहा गया है? 

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हमारे साथ कोई रहे या न रहे, परन्तु ये चन्दा और तारे हमेशा साथ रहते हैं। ये हमारा दर्द बाँट लेंगे, अपनी बात कहेंगे। ये नदियाँ और झरने हरदम हँसते-गाते आगे बढ़ने को कहेंगे। इस प्रकार कवि प्रकृति को प्रेरणा का स्रोत मानता है। प्रकृति हमारा साथ देती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है।



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