1.

नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।i) सत की नाँव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।ii) प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग – अंग बास समानी। ।

Answer»

i). इस वाक्य में मीराबाई सत्य तथा सद्गुरु की महिमा बताती हैं। मीरा कहती हैं कि मेरी नाव सत्य की है। मेरी नाव खेनेवाला सद्गुरु है। सतगुरु की कृपा से ही भवसागर रूपी संसार को पार कर सकती हूँ।

ii). इस वाक्य में कविवर श्री रैदास जी भगवान को चंदन के रूप में और अपने आपको पानी के रूप में वर्णन करते हैं। रैदास कहते हैं कि हे भगवान तुम चंदन हो और मैं पानी हूँ। चंदन और पानी के मिलने से पानी के अंग – अंग में सुवास निकलता है। जिसे हम अपने शरीर को लगाने से सुगंध निकलता है।



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