| Answer» शीर्षक का नाम : “भक्ति पद है।कवि का नाम : “रैदास” है।
 जीवनकाल : सन् 1482 – सन् 1527
 प्रसिद्ध रचना : ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में इनके पद संकलित हैं।
 विशेष : ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवियों में से एक।
 रैदास की चौपाइयों में समर्पण की भावना, दास्य भक्ति को अधिक महत्व दिया गया है।रैदास अपनी भक्ति के बारे में कहते हैं कि – हे प्रभू ! तुम चंदन हो तो मैं पानी हूँ।हे प्रभू ! तुम बादल हो तो मैं मोर हूँ।बादल रूपी भगवान को मोर रूपी भक्त देखता रहता है।प्रभू जी ! तुम मोती हो तो मैं धागा हूँ।आप से मिलने से मेरी सुंदरता बढ़ती है।प्रभुजी, तुम स्वामी हो तो मैं दास हूँ।इस प्रकार कवि रैदास जी ने अपने प्रभु के प्रति अपनी दास्य भक्ति दिखायी।
 |