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रैदास और मीराबाई के ‘भक्ति पद’ इस पाठ के आधार पर बताइए कि दोनों की भक्ति में मुख्य अंतर क्या हैं?

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रैदास ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि हैं। रैदास जी भगवान को ही उनके हर एक काम का भागीदार बनाकर उनको हमेशा ऊँचे स्थान पर रखना चाहते हैं।

रैदास भगवान को स्वामी बनाकर वह सेवक के रूप में रहना चाहते हैं। रैदास के प्रभु निराकार हैं।

मीराबाई कृष्णोपासक कवयित्रियों में श्रेष्ठ हैं और माधुर्य भाव प्रयोग में पटु हैं। उनके पद सरस और मधुर हैं। मीरा श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। बचपन में ही मीरा के मन में कृष्ण के प्रति प्रेम भाव . अंकुरित हुआ। वह प्रेम भाव, उम्र के साथ -साथ बढ़ता आया। उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति की है। मीराबाई . बताती हैं भगवान के नाम रूपी नाव से ही संसार रूपी सागर को पार सकते हैं। इसका सही राह का मार्ग दर्शन गुरु द्वारा होता है। मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए प्राणों तक न्योछावर करती हैं।



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