1.

निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजियेबात के काम भी इसी भाँति अनेक देखने में आते हैं। प्रीति-वैर, सुख-दु:ख, श्रद्धा-घृणा, उत्साह-अनुत्साह आदि जितनी उत्तमता और सहजता बात के द्वारा विदित हो सकते हैं, दूसरी रीति से वैसी सुविधा ही नहीं । घर बैठे लाखों कोस का समाचार मुख और लेखनी से निर्गत बात ही बतला सकती है। डाकखाने अथवा तारघर के सहारे से बात की बात में चाहे जहाँ की जो बात हो, जान सकते हैं। इसके अतिरिक्त बात बनती है, बात बिगड़ती है, बात आ पड़ती है, बात जाती रहती है, बात उखड़ती है। हमारे तुम्हारे भी सभी काम बात पर ही निर्भर करते हैं। ‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ बात ही से पराये अपने और अपने पराये हो जाते हैं। मक्खीचूस उदार तथा उदार स्वल्पव्ययी, कापुरुष युद्धोत्साही एवं युद्धप्रिय शान्तिशील, कुमार्गी, सुपथगामी अथच सुपन्थी, कुराही इत्यादि बन जाते हैं।(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। |(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(3) लाखों कोस का समाचार कौन बतला सकता है?(4) पाँच वाक्यों में बात का महत्त्व लिखिए।(5) ‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer»

1.सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के पाठ ‘बात’ से उद्धृत है। इसके लेखक पं० प्रतापनारायण मिश्र हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने वाणी के महत्त्व को स्पष्ट किया है।

2.रेखांकित पद्यांशों की व्याख्या – लेखक बात के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहता है कि बात का प्रभाव बहुत व्यापक होता है। बात कहने के ढंग से ही उसका प्रभाव घटता अथवा बढ़ता है।‘निश्चय ही हमारे बात करने के ढंग से हमारा प्रत्येक कार्य प्रभावित होता है। बात के प्रभावशाली होने पर कवि अथवा चारण, राजाओं से पुरस्कार में हाथी तक प्राप्त कर लेते थे किन्तु कटु बात कहने से राजाओं द्वारा लोग हाथी के पाँव के नीचे कुचल भी दिये जाते थे। यह बात भी सिद्ध है कि बात अर्थात् वायु-प्रकोप से ‘हाथीपाँव’ नामक रोग भी हो जाता है।” किसी की वाणी से प्रभावित होकर बड़े-बड़े कंजूस भी उदार हृदयवाले बन जाते हैं और परिश्रम से अर्जित अपनी सम्पत्ति परोपकार के लिए अर्पित कर देते हैं। इसके विपरीत कटु वाणी के प्रभाव से उदार-हृदय व्यक्ति भी अपने साधनों को समेट लेता है। युद्ध-क्षेत्र में चारणों की ओजपूर्ण वाणी सुनकर कायरों में भी वीरता का संचार हो जाता है और यदि बात लग जाय तो युद्ध चाहनेवाला व्यक्ति भी शान्तिप्रिय बन जाता है। बात के प्रभाव से बुरे रास्ते पर चलनेवाला व्यक्ति सन्मार्ग पर चलने लगता है और बात की शक्ति-द्वारा सन्मार्ग पर चलनेवाला व्यक्ति भी दुष्टों-जैसा व्यवहार करने लगता है। तात्पर्य यह है कि बात कहने का ढंग और शब्दों का प्रयोग मनुष्य पर आश्चर्यजनक प्रभाव डालता है।

3.लाखों कोस को समाचार बात बतला सकता है।

4.बात का महत्त्व

  • बात के अनेक काम देखने में मिलते हैं।
  • बात के द्वारा कोई भी भाव सहजता एवं सरलता से विदित हो सकता है।
  • लाखों कोस का समाचार मुख या लेखनी से निर्गत बात बतला सकती है।
  • हम डाकघर अथवा तारघर के सहारे दूर की बात जान सकते हैं।
  • सभी काम बात पर ही निर्भर करते हैं।

5.‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ का आशय है अच्छी बात से पुरस्कार स्वरूप हाथी की प्राप्ति होती है और बुरी बात पर हाथी के पाँव के नीचे कुचला जा सकता है।



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