1.

किस प्रकार के व्यक्ति को हमें पाषाणखण्ड समझना चाहिए और क्यों?

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बालकों की तोतली बातें, सुन्दरियों की मीठी-मीठी और प्यारी-प्यारी बातें, सत्कवियों की रसीली बातें, सुवक्ताओं की प्रभावशालिनी बातों का जिनके हृदय पर प्रभाव नहीं पड़ता, उन्हें पशु नहीं पाषाणखण्ड कहना चाहिए क्योंकि कुत्ते, बिल्ली आदि को विशेष समझ नहीं होती तो भी पुचकार के तू-तू, पूसी-पूसी इत्यादि बातें कह दो तो वे भावार्थ समझ के यथासामर्थ्य स्नेह प्रदर्शन करने लगते हैं।



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