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नृत्य करते पतंगे कैसे दिख रहे थे ?

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कई घंटे एकांत में रहने के बाद दिलीप घर लौट रहा था। सड़क लगभग सुनसान थी। मनुष्य के अभाव की कुछ भी परवाह न करके लाखों पतंगे बिजली के लैम्पों के चारों ओर नृत्य कर रहे थे। प्रत्येक पतंगा एक नक्षत्र की तरह अपने मार्ग पर चक्कर काट रहा था। कोई दाएं, कोई बाएँ तो कोई विपरीत गति में चक्कर काट रहा था, पर कोई किसी से टकराता नहीं था। वे उसी तरह दिख रहे थे जैसे तमाम ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र आदि बिना आपस में टकराए गति करते हैं।



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