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पैसे की व्यंग्य शक्ति से क्या आशय है? पैसे की व्यंग्य शक्ति को पराजित करने वाला कौन-सा बल है?

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पैसे के अभाव में मनुष्य में हीनता की भावना उत्पन्न होती है। पैसे वाला स्वयं को बड़ा तथा दूसरों से श्रेष्ठ समझता है। पैसे के अभाव में मनुष्य पैसे वालों से ईर्ष्या करता है। वह अपने धनवान सगे-सम्बन्धियों के प्रति भी ईष्र्यालु हो जाता है। पैसे की शक्ति ही उसकी व्यंग्य शक्ति कहलाती है।

यह व्यंग्य शक्ति अत्यन्त कष्टदायक होती है। इसको परास्त करना साधारण काम नहीं है। पैसे की व्यंग्य शक्ति को चूर-चूर करने वाला बल सांसारिक धन वैभव के बल से ऊँचा है। यह बल उस व्यक्ति में ही होता है, जिसने तृष्णा तथा संग्रह की प्रवृत्ति पर विजय पा ली है। इस बल को धार्मिक, नैतिक तथा आत्मिक बल कहा जाता है। सांसारिक इच्छाओं के आकर्षण से मुक्त मनुष्य में ही यह बल होता है।



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