InterviewSolution
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राजमुकुट के आधार पर प्रमिला का चरित्र-चित्रण कीजिए।या‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर सिद्ध कीजिए कि इसमें नारी-पात्रों की भूमिका बहुत संक्षिप्त है किन्तु ये अपना-अपना प्रभाव छोड़ने में पूर्णरूपेण सक्षम हैं।या‘राजमुकुट’ नाटक के प्रमुख स्त्री पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए। |
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Answer» ‘राजमुकुट के नारी-पात्र । श्री व्यथित हृदय कृत ‘राजमुकुट’ में नारी-पात्रों का समावेश नगण्य है। इसमें प्रमिला, प्रजावती, गुणवती और चम्पा प्रमुख नारी पात्र हैं। प्रजावती निरपराध, पवित्र, जनहित में लगी रहने वाली, स्वाभिमानिनी तथा देशप्रेमी व प्रजावत्सल नारी है। नाटककार ने उसे मंच पर उपस्थित नहीं किया है, वरन् अन्य पात्रों के माध्यम से ही उसके चरित्र की विशेषताओं को उजागर किया गया है। जगमल का एक सैनिक उसके चरित्र पर प्रकाश डालता हुआ कहता है-“वह विक्षिप्ता है महाराज! दिन भर झाड़ियों और कन्दराओं में छिपी रहती है। जब रात होती है तब बाहर निकलकर अपने जीवनगान से सम्पूर्ण उदयपुर को प्रतिध्वनित कर देती है। वह रात भर अपने गान को मादिनी पर, पाषाणों पर, दीवारों पर लिखती फिरती है। उसका जीवन-गान उदयपुर में धर्म-गीत बन रहा है।” राणा जगमल अपने क्रूर चाटुकारों के कहने से उसका वध करवा देता है। प्रजावती के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए प्रजा का नायक चन्दावत कहता है-“वह कृषकों और श्रमिकों के जीवन को प्रकाश थी; उनके प्राणों की आशा थी; उनकी धमनियों का रक्त थी।” गुणवती मेवाड़ के राणा प्रताप की पत्नी हैं, जो उनके साथ वनवास के कष्टों को सहर्ष सहन करती हैं। तथा अपने पति का हर संकट में साथ देती हैं। इस प्रकार इस नाटक में नारी-पात्रों की भूमिका बहुत संक्षिप्त है, किन्तु भावनात्मक स्तर पर वे पाठकों को प्रभावित करने में सक्षम हैं। |
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