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Answer» अकबर का चरित्र-चित्रण श्री व्यथित हृदय कृत ‘राजमुकुट’ नाटक में मुगल सम्राट् अकबर एक प्रमुख पात्र है। वह महाराणा प्रताप का प्रतिद्वन्द्वी है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं— (1) व्यावहारिक और अवसरवादी व्यक्ति-अकबर व्यावहारिक और अवसरवादी व्यक्ति है। अपने इसी गुण के कारण वह शक्तिसिंह के हृदय में जगी प्रतिशोध की भावना को तीव्र कर देता है– ‘छलिया संसार को छल और प्रपंचों से परास्त करने का पाठ पढ़ो।……… संसार में भावुकता से काम नहीं चल सकता शक्ति!” (2) महत्त्वाकांक्षी–सम्राट् अकबर बहुत महत्त्वाकांक्षी है। वह मन-ही-मन मेवाड़-विजय का संकल्प करता है-”मैं अपने जीवन के उस अभाव को पूरा करूंगा, मेवाड़ के गौरवमय भाल को झुकाकर अपने साम्राज्य की प्रभुता बढ़ाऊँगा।” (3) मानव-स्वभाव का पारखी-अकबर बहुत बुद्धिमान है। वह शक्तिसिंह, मानसिंह और राणा प्रताप के चरित्र का सही मूल्यांकन करता है-”एक प्रताप है, जो मातृभूमि के लिए प्राण हथेली पर लिये फिरता है और एक तुम हो, जो मातृभूमि के सर्वनाश के लिए खाइयाँ खोदते फिरते हो।” (4) सदगुणों का प्रशंसक-अकबर व्यक्ति के सद्गुणों की प्रशंसा करने से नहीं चूकता, चाहे वे सद्गुण उसके शत्रु में ही क्यों न हों। यह विशेषता उसे महानता प्रदान करती है। वे हृदय से राणा की वीरता और स्वाभिमान की प्रशंसा करता है-*”………….धन्य है मेवाड़! और धन्य हैं मेवाड़ की गोद में पलने वाले महाराणा प्रताप ! प्रताप मनुष्य रूप में देवता हैं, मानवता की अखण्ड ज्योति हैं।” (5) साम्प्रदायिक सद्भावना का प्रतीक-अकबर हिन्दू-मुसलमानों को एकता के सूत्र में बाँधना चाहता है। उसके द्वारा स्थापित ‘दीन-ए-इलाही’ मत इसी साम्प्रदायिक सद्भावना का प्रतीक है। वह मानवीय गुणों का आदर करता है। वह महाराणा की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हुए कहता है- “हमारा और आपका मिलन ! यह दो व्यक्तियों का मिलन नहीं महाराणा ! दो धर्म-प्रवाहों का मिलन है, जिससे इस देश की संस्कृति सुदृढ़ तथा पुष्ट होगी।” (6) कूटनीतिज्ञ-अकबर कुशल कूटनीतिज्ञ है। वह प्रत्येक निर्णय कूटनीति से लेता है। उसकी चतुर कूटनीति का एक उदाहरण द्रष्टव्य है-”प्रताप का भाई शक्तिसिंह स्वयं जादू के जाल में फंसकर माया की तरंगों में डुबकियाँ लगी रहा है। उसी को मेवाड़ के विध्वंस का साधन बनाऊँगा।”
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