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रैदास ने भगवान और भक्त के संबंध को कैसे वर्णित किया है?

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कवि संत रैदास जी भक्त और भगवान का अटूट सम्बन्ध बताते हुए कहते हैं कि प्रभुजी आप चंदन हैं तो हम पानी हैं, आप यदि घना वन या जंगल हैं तो हम मोर हैं, आप यदि दीपक हैं तो हम बाती हैं, आप यदि मोती हैं तो हम धागा हैं और यदि आप स्वामी हैं तो हम आपके दास हैं; फिर हमारा संबंध अलग कैसे हो सकता है?



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