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रहीम के दोहों में दैनिक व्यवहार की बातें किस तरह से अभिव्यक्त हुई हैं ?

Answer» रहीम ऐसे कवि हैं, जिनके काव्य हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उनके छोटे-छोटे दोहों में बड़े उपयोगी नीति वचन झलकते हैं।
कवि कहते हैं, बोलते समय अक्सर लोग अपनी वाणी पर संयम नहीं रख पाते। उनकी चपल बावरी जीभ बेकाबू होकर बोलने लगती है और आपस में लड़ाई झगड़ा करवाती है। जीभ को क्या उचित है और क्या अनुचित है इसका ज्ञान नहीं होता। इसलिए अनावश्यक विवाद और झगड़ों से बचने के लिए लोगों को जीभ पर संयम रखना चाहिए। कवि आगे कहते हैं, किसी भी मामले में बात बिगड़ने से उसे सम्भाल लिया जाये, गलती सुधार ली जाये, क्योंकि अगर एक बार बात बिगड़ गई तो फिर उसे सम्भालना कठिन हो जाता है, जैसे फटे दूध से मक्खन निकालना। इसलिए किसी भी मामले में बात बिगड़ने से बचाना चाहिए। रहीम कहते हैं, जो लोग भगवान की भक्ति करते हैं, वे पहले अपने अन्दर के अहंभाव का त्याग करें। अगर मामूली-सा व्यक्ति भी अगर किसी मनुष्य के काम आता है। तो उस मनुष्य को शर्म नहीं करनी चाहिए। वह बड़प्पन किस काम का, जो किसी के काम न आये ?
इस प्रकार से रहीम के दोहों में दैनिक व्यवहार की बातें अभिव्यक्त हुई हैं।


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