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साइबर अपराध की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

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साइबर अपराध की अवधारणा

‘साइबर स्पेस शब्द की रचना सर्वप्रथम विलियम गिब्सन ने अपने उपन्यास ‘न्यूरोमेन्स में की थी। यह शब्द वस्तुतः एक ऐसे समुदाय को इंगित करता है जो एक-दूसरे से परम्परागत रूप से परिभाषित समुदाय की अपेक्षा विस्तृत नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। इसमें इससे सम्बन्धित अवधारणाओं; जैसे-साइबर समुदाय, साइबर सम्प्रेषण आदि के व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ पर व्यक्तिगत कम्प्यूटर आवश्यक और अभिन्न घटक हैं। कम्प्यूटर के अस्तित्व में आने के बाद अस्तित्व में आने वाला यह अपराध अपनी आरम्भिक अवस्था में इतना नहीं फैला था कि भये उत्पन्न करे।

लेकिन समयानुसार कम्प्यूटर और इण्टरनेट तक लोगों की पहुँच जितनी सामान्य होती जा रही है, साइबर अपराध उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार साइबर अपराध, अपराध को एक अत्याधुनिक प्रकार है जो कम्प्यूटर इण्टरनेट और संचार क्रान्ति के अन्य तकनीकी साधनों के माध्यम से तथा उनकी प्रयोग करने वाले लोगों द्वारा सम्पादित किया जाता है। यह अपराध व्यापारिक व व्यावसायिक परिक्षेत्रों में अधिक होता है। इसके माध्यम से गलत वित्तीय विवरण बनाना, जनता, को प्रत्यक्ष या परोक्ष झूठे विज्ञापन देना, गलत प्रमाण-पत्र बनाना, झूठा बिल बनाना, करों की चोरी, बैंकों के साथ धोखाधड़ी इत्यादि अपराधों को अंजाम दिया जाता है।



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