InterviewSolution
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श्री रामनरेश त्रिपाठी का जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्य-कृतियों (रचनाओं) का उल्लेख कीजिए।यारामनरेश त्रिपाठी का जीवन-परिचय देते हुए उनकी किसी एक रचना का नामोल्लेख कीजिए। |
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Answer» पं० रामनरेश त्रिपाठी स्वदेश-प्रेम, मानव-सेवा और पवित्र प्रेम के गायक कवि हैं। इनकी रचनाओं में छायावाद का सूक्ष्म सौन्दर्य एवं आदर्शवाद का मानवीय दृष्टिकोण एक साथ घुल-मिल गये हैं। आप बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न साहित्यकार हैं। राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित इनके काव्य अत्यन्त हृदयस्पर्शी हैं। जीवन-परिचय-हिन्दी-साहित्य के विख्यात कवि रामनरेश त्रिपाठी का जन्म सन् 1889 ई० में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के कोइरीपुर ग्राम के एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता पं० रामदत्त त्रिपाठी एक आस्तिक ब्राह्मण थे। इन्होंने नवीं कक्षा तक स्कूल में पढ़ाई की तथा बाद में स्वतन्त्र अध्ययन और देशाटन से असाधारण ज्ञान प्राप्त किया और साहित्य-साधना को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। इन्हें केवल हिन्दी ही नहीं वरन् अंग्रेजी, संस्कृत, बंगला और गुजराती भाषाओं को भी अच्छा ज्ञान था। इन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार का सराहनीय कार्य कर हिन्दी की अपूर्व सेवा की। ये हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन की इतिहास परिषद् के सभापति होने के साथ-साथ स्वतन्त्रतासेनानी एवं देश-सेवी भी थे। साहित्य की सेवा करते-करते सरस्वती का यह वरद पुत्र सन् 1962 ई० में स्वर्गवासी हो गया। | रचनाएँ–त्रिपाठी जी श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ बाल-साहित्य और संस्मरण साहित्य के लेखक भी थे। नाटक, निबन्ध, कहानी, काव्य, आलोचना और लोक-साहित्य पर इनका पूर्ण अधिकार था। इनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ निम्नलिखित हैं| (1) खण्डकाव्य-पथिक’, ‘मिलन’ और ‘स्वप्न’। ये तीन प्रबन्धात्मक खण्डकाव्य हैं। इनकी विषयवस्तु ऐतिहासिक और पौराणिक है, जो देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत है। (2) मुक्तक काव्य-मानसी’ फुटकर काव्य-रचना है। इस काव्य में त्याग, देश-प्रेम, मानव-सेवा और उत्सर्ग का सन्देश देने वाली प्रेरणाप्रद कविताएँ संगृहीत हैं। (3) लोकगीत-‘ग्राम्य गीत’ लोकगीतों का संग्रह है। इसमें ग्राम्य-जीवन के सज़ीव और प्रभावपूर्ण गीत हैं। इनके अतिरिक्त त्रिपाठी जी द्वारा रचित प्रमुख कृतियाँ हैं| साहित्य में स्थान–खड़ी बोली के कवियों में आपका प्रमुख स्थान है। अपनी सेवाओं द्वारा हिन्दी साहित्य के सच्चे सेवक के रूप में त्रिपाठी जी प्रशंसा के पात्र हैं। राष्ट्रीय भावों के उन्नायक के रूप में आप हिन्दी-साहित्य में अपना विशेष स्थान रखते हैं। |
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