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स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है ?

Answer»

‘पाथेय’ अर्थात् मार्ग में मिलनेवाला भोजन या संबल । कवि की स्थिति थके हुए पथिक की तरह है। 

उसके जीने का आधार मात्र स्मृतियाँ हैं।

निराशामय स्थितियों से निकलने के लिए स्मृतियाँ ही उसका पाथेय हैं।



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