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समुद्र को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं ? लगभग 200 शब्दों में लिखें।

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समुद्र को साक्षात् देखने से पहले उसकी विशालता, गहराई और अनंतता के बारे में बहुत कुछ सुना था। उसमें उठनेवाले ज्वार और भाटा के विषय में भी बहुत कुछ सुना था, पढ़ा था । मगर जब से समुद्र को देखा है, उसके विषय में जानने जिज्ञासा और भी बढ़ गई है । समुद्र को देखते ही उसकी अनंत जलराशि को कौन एकत्रित करता होगा, इसके किनारे कौन बनाता होगा, कभी तालाब या बाँध की तरह यह टूट गया या फूट गया तो क्या होगा ?

ज्वार भाटा क्यों उठते होंगे ? समुद्र दो देशों या दो महाद्वीपों को जोड़ता है। जलमार्ग के रूप में इसकी प्रथम कल्पना किसने की होगी ? इसके भीतर ना-ना प्रकार की वनस्पतियों और जीव-जंतु का संसार कैसा होगा ? सागर के तल में मरजीवा कैसे गोता लगाते होंगे ? इसकी विशाल जलराशि को पीने और सिंचाई करने योग्य बनाया जा सकता है क्या ?

पूनम और अमावस्या के दिन समुद्र का नजारा अद्भुत होता है । वैसे ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भी समुद्र का नजारा अद्भुत होता है । शांत समुद्र का अपना आकर्षण है, वहीं गरजते और तूफानयुक्त समुद्र की भयावहता का रोमांच अलग ही है । समुद्र की विकरालता को देखकर मन भयभीत हो उठता है और मन में होता है कि यदि कभी समुद्रयात्रा करते समय समुद्र की तूफानी लहरों के बीच पड़ गया तो ?

और हृदय काँप उठता है । तुरंत ही समुद्र का उपकारक रूप ध्यान में आ जाता है। समुद्र रत्नाकर है। मानव को नमक समुद्र से ही मिलता । जलचक्र में समुद्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। समुद्र और सूर्य का युति ही वर्षा का कारण है और वर्षा हमारे जीवन की धुरी है। जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। मन समुद्र के प्रति कृतज्ञता से भर उठता है । आहार के मछलियाँ, मोती जैसी कीमती वस्तु अनेक प्रकार के रत्न, पेट्रोलियम पदार्थ समुद्र से मनुष्य प्राप्त करता है । समुद्र हमारे लिए रत्नाकर है।



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