1.

संगतकार चाहकर भी अपना स्वर मुख्य गायक से कभी ऊँचा नहीं करता है। क्या यह उसका दायित्वबोध है या और कुछ ?

Answer»

संगीत के आयोजन में संगतकार कभी भी चाहकर भी अपना स्वर मुख्य गायक से ऊंचा नहीं करता, वास्तव में यह संगतकार का दायित्व बोध ही है। क्योंकि यदि संगतकार का स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊंचा हो जाएगा तो संगीत आयोजन का उद्देश्य और सफलता प्रभावित होगी। यदि संगतकार को ऐसा लगने लगा कि मेरा स्वर मुख्य गायक से श्रेष्ठ है, उत्तम है तो मख्य गायक की प्रतिभा क्षीण होगी जो परे आयोजन को प्रभावित करे बिना न रहेगा। इसलिए उत्तम संगतकार सदैव सहयोगी की भूमिका में ही रहना उचित तथा श्रेयस्कर मानता है।



Discussion

No Comment Found