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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :क्या अमरों का लोक मिलेगा?तेरी करुणा का उपहार?रहने दो हे देव! अरेयह मेरा मिटने का अधिकार!

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘अधिकार’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसकी रचयिता महादेवी वर्मा हैं।

भाव स्पष्टीकरण : आधुनिक मीरा कहलाने वाली महादेवी वर्मा जी वेदना, अवसाद, करुणा, दुःख, यातना, पीड़ा को मानव जीवन के अविभाज्य अंग मानती हैं। वे इन अनुभवों को स्वर्ग सुख से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मानती हैं। स्वर्ग लोक में सुख ही सुख है, दुःख का नाम ही सुनाई नहीं देता। दुःख, अवसाद, पीड़ा आदि ये सब मानव की अमूल्य निधियाँ है। तुम्हारे ऐसे स्वर्ग लोक में आकर मैं क्या करूँ? मुझे तो मानव लोक ही मधुर लगता है। हे भगवान! मधुर पीड़ा से मर मिटने का अधिकार मेरे लिए ही छोड़ दो।



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