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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:मंजिल सदा उसी को मिलतीधीर-वीर जो बढ़ता जाता।काँटों को भी फूल समझता,विपदाओं से हाथ मिलाता।कायर तो घबराते वे ही,वीर न करते कभी बहाना। 

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प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मत घबराना’ नामक कविता से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ. रामनिवास ‘मानव’ हैं।
संदर्भ : कवि यहाँ नव युवकों को संदेश देते हुए कह रहे हैं कि तुम वीर हो, विपदाओं का सामना करते हुए मंजिल के पथ पर तुम आगे बढ़ते रहो। कवि ने इस कविता में प्रकृति को प्रेरणा के रूप में चित्रित किया है।
स्पष्टीकरण : कवि कहता है कि मंजिल सदा उसी को मिलती है, जो धीर-वीर बनकर आगे बढ़ता है। जो काँटों को फूल समझकर, विपत्तियों से हाथ मिलाकर आगे बढ़ता है और डरने का बहाना न बनाकर जो आगे बढ़ता है, वही जीवन में सफल होता है।



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