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टोक्यो की रेल यात्रा का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

Answer» लेखिका ममता कालिया तथा प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य टोक्यो तथा ओसाका विश्वविद्यालयों के सम्मेलनों में भाग लेने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो के सनपेटियो होटल में ठहरे थे। दोपहर डेढ़ बजे टोक्यो विश्वविद्यालय के अतिथि प्रोफेसर सुरेश ऋतुपर्ण उन्हें लेने के लिए आये। कुछ दूर पैदल चलने के बाद स्टेशन आ गया। टोक्यो में जगह-जगह रेलवे स्टेशन हैं। सुरेश जी ने टिकट मशीन में नोट डालकर रेल टिकट निकाला। इसकी पूरी विधि हम लोगों को समझायी। थोड़ी देर में रेल आ गयी। हम लोग बिना धक्का-मुक्की के रेल में चढ़ गये। रेल के सभी यात्री अपने में व्यस्त थे कोई पढ़ने में तो कोई मोबाइल पर सन्देश टाइप करने में तो कुछ महिलाएँ मेक अप में व्यस्त थीं। डिब्बे में सब तरफ खामोशी थी। बातचीत करने वाले केवल हिन्दुस्तानी ही थे टोक्यो में कई तल्लों में रेलगाड़ी चलती है। कभी वह जमीन के नीचे कभी वह जमीन के ऊपर चलने लगती है। लेखिका और उनके प्रतिनिधि मण्डल ने रेल, मोनोरेल तथा स्वचालित रेल आदि सभी गाड़ियों के सफर का आनन्द लिया। टोक्यो से ओसाका जाने के लिए जापान की सबसे गतिमान/तेजस रेलगाडी सिन्कान्सेन के सफर का आनन्द भी उन्होंने लिया। १६ डिब्बों की यह सिन्कान्सेन रेलगाड़ी १७० कि.मी/घण्टे की रफ्तार से चलती है तथा यह ६६ गुफाओ से होकर गुजरती है। इस सिन्कान्सेन रेलगाड़ी को बुलेट ट्रेन भी कहते हैं। इस प्रकार से टोक्यो की अविस्मरणीय रेल यात्रा रही।


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