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उपभोक्तावाद से प्रभावित समाज में उपभोक्तओं को शोषण से बचाने के लिए आप क्या सुझाव देना चाहेंगे?

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वर्तमान विश्व की आर्थिक व्यवस्था उपभोक्तावाद से प्रभावित है। आजकल की सभ्यता में विकास के लिए अधिक-सेअधिक चीजों का प्रयोग करना आवश्यक माना जाता है। प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात तथा भारतीय महापुरुष गाँधी जी का सिद्धान्त था कि कम-से-कम वस्तुओं का प्रयोग करो। इसके विपरीत आज माना जाता है कि अपनी आवश्यकताएँ बढ़ाने से ही सभ्यता विकसित होती है। वस्तुओं का प्रयोग उपभोग तथा प्रयोगकर्ता उपभोक्ता कहलाता है। यदि गहराई से विचार किया जाय तो उपभोक्ता का शोषण करके अपनी पूँजी को बढ़ाना ही उपभोक्तावाद है।

उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए मैं निम्नलिखित सुझाव देना चाहूँगा –

  1. आवश्यकताओं को सीमित रखना चाहिए।
  2. फिजूलखर्ची से बचना चाहिए तथा अपनी क्रय शक्ति का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
  3. हमको अपनी आवश्यकताओं का सही ज्ञान होना चाहिए तथा बाजार से अनावश्यक वस्तुएँ नहीं खरीदनी चाहिए।
  4. हमें आत्मसंयमी होना चाहिए तथा धन का प्रदर्शन अपने घमण्ड की सन्तुष्टि के लिए नहीं करना चाहिए।
  5. हमें चीजें उत्पादक से सीधी खरीदनी चाहिए बीच में बाजार को नहीं आने देना चाहिए।
  6. सरकार को भी ऐसा कानून बनाना चाहिए, कि उपभोक्ताओं का शोषण रोका जा सके।
  7. शोषण से बचने के दो रास्ते हैं, एक है-आत्मसंयम अर्थात् अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखना तथा दूसरा बाह्य नियन्त्रण अर्थात् शासन द्वारा उपभोक्ताओं की शोषण से रक्षा करना।


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