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वस्त्रों के चयन के मुख्य आधार कौन-कौन से हैं? समझाइए।याशारीरिक विशेषताओं, आयु एवं लिंग के अनुसार वस्त्रों का चयन आप किस प्रकार करेंगी?

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मनुष्य के दैनिक जीवन के लिए उपयुक्त वस्त्रों का अत्यधिक महत्त्व है। उपयुक्त वस्त्रों को चयन कोई सरल कार्य नहीं है। इसके लिए व्यक्ति विशेष की आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, आयु वर्ग एवं व्यवसाय सम्बन्धी परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
उपर्युक्त सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए उचित वस्त्रों के चयन के निम्नलिखित आधार माने जा सकते हैं

  1. शारीरिक विशेषताएँ
  2. लिंग एवं आयु
  3. व्यवसाय एवं पद
  4. मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति।

(1) शारीरिक विशेषताएँ:
वस्त्रों का चयन करते समय शारीरिक विशेषताओं को ध्यान में रखना अत्यधिक आवश्यक है। उदाहरणस्वरूप–औसत कद वाले व्यक्तियों पर प्रायः सभी प्रकार के वस्त्र अच्छे लगते हैं। लम्बे कद की स्त्रियों को साड़ी और ब्लाउज के विभिन्न रंग, बड़े डिजाइन व हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। नाड़े कद की स्त्रियों को लम्बी दिखाई पड़ने के लिए एक ही रंग की साड़ी व ब्लाउज, जो कि ऊपर से नीचे की ओर धारियों वाले, छोटे डिजाइन के व हल्के रंग के हों, पहनने चाहिए।
विभिन्न कद एवं आकार वाले व्यक्तियों को अपनी लम्बाई व चौड़ाई के अनुसार वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

(2) लिंग एवं आयु:
विभिन्न व्यक्तियों के लिए वेशभूषा के चयन हेतु अलग-अलग नियम होते हैं, जिन्हें निम्नांकित विवरण से समझा जा सकता है

(i) पुरुषों के लिए:
सही शारीरिक माप वाले कपड़े पहनने से बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक दिखाई पड़ता है। वस्त्र चाहे संख्या में कम हों परन्तु उनकी अच्छी सिलाई आवश्यक है। पुरुषों को अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार उपयुक्त वस्त्र खरीदने चाहिए। महँगे होने के कारण सूट का कपड़ा सदैव टिकाऊ, आकर्षक व गहरे रंग का लेना चाहिए जिससे इसे बार-बार ड्राइक्लीन न कराना पड़े। नवयुवक पर प्रायः चमकीले अथवा गहरे रंग के वस्त्र आकर्षक लगते हैं, जबकि अधेड़ावस्था में हल्के व सौम्य रंग के वस्त्र ही ठीक रहते हैं।

(ii) स्त्रियों के लिए:
महिलाओं के लिए प्रायः साड़ी व ब्लाउज ही अधिक महत्त्वपूर्ण वस्त्र होते हैं। दैनिक उपयोग के लिए सूती साड़ियाँ सर्वोत्तम रहती हैं। विशेष अवसरों के लिए जरीदार बनारसी साड़ियाँ, काँचीवरम की साड़ियाँ तथा गुजराती बंधेज की साड़ियाँ उपयोग में लाई जाती हैं। सामान्य अवसरों के लिए हैण्डलूम की साड़ियाँ, आरगेण्डी व चिकन की साड़ियाँ तथा कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियाँ अधिक उपयुक्त रहती हैं। साड़ियों के साथ अधिकतर अनुरूप (मैचिंग) रंग के ब्लाउज उपयुक्त रहते हैं। इसके लिए 2×2 रूबिया, पॉपलीन व रेशमी वस्त्रों का चयन उचित रहता है। मूल्यवान साड़ियों के साथ प्रायः ब्लाउज के लिए अतिरिक्त कपड़ा साड़ी के साथ ही जुड़ा मिलता है। कम आयु की महिलाओं के लिए प्रायः चटकीले रंग उपयुक्त रहते हैं, जो कि सहज ही हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियों में उपलब्ध हो जाते हैं।

(iii) बच्चों के लिए:
बच्चे अधिक खेलते-कूदते हैं; अतः उनके वस्त्र मजबूत कपड़े के होने चाहिए। बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि होने के कारण बच्चों के कपड़े थोड़े ढीले व संख्या में कम होने चाहिए। वस्त्रों की सिलाई कराते समय सींवनों में अतिरिक्त कपड़ा छोड़ने से इन्हें आवश्यकतानुसार ढीला किया जा सकता है। बच्चों के वस्त्रों के बटन मजबूती से लगे होने चाहिए। विशेष अवसरों के लिए बच्चों को महँगे वस्त्र दिलाए जा सकते हैं।

(iv) शिशुओं के लिए:
शिशुओं की त्वचा कोमल होती है; अतः इनके वस्त्र मुलायम कपड़ों (रेशमी, सूती व ऊनी आदि) के बनवाने चाहिए। शिशुओं को प्रायः हल्के गुलाबी, नीले, नारंगी आदि रंगों के झबले, रोम्पर, फ्रॉक, टी-शर्ट व लैंगिंग्स पहनाए जाते हैं।

(3) व्यवसाय एवं पद:
व्यवसाय एवं पद का सीधा सम्बन्ध मनुष्य की आर्थिक क्षमता एवं सामाजिक स्थिति में होता है। छोटे व्यवसाई अथवा छोटी नौकरी करने वाले व्यक्ति आय कम होने के कारण वस्त्रों पर अधिक व्यय नहीं कर सकते। इनके लिए प्रायः सूती व टेरीकॉट के वस्त्र ही अधिक उपयुक्त रहते हैं। अधिक आय वर्ग के व्यक्ति अधिक मूल्य के रेडीमेड अथवा अन्य प्रकार के अनेक वस्त्र प्रयोग कर सकते हैं। कुछ विशिष्ट व्यवसायों एवं सेवाओं में वस्त्रों की निर्धारित सीमाएँ होती हैं; जैसे कि सेवा के समय में चिकित्सक, सेना व पुलिस कर्मचारी व वकील इत्यादि एक निश्चित पोशाक पहनने के लिए बाध्य होते हैं। व्यापारियों एवं दुकानदारों को कुर्ता-धोती अथवा कुर्ता-पाजामा पहनने में सुविधा रहती है। उच्च अधिकारियों, अध्यापक एवं अध्यापिकाओं को सौम्य रंग एवं फैशन के वस्त्र पहनने उपयुक्त रहते

(4) मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति:
वस्त्रों के चयन के लिए मौसम व स्थान-विशेष की भौगोलिक परिस्थितियों का एक अलग ही महत्त्व है। ग्रीष्म ऋतु में हल्के रंग के सूती वस्त्र तथा शीत ऋतु में विभिन्न प्रकार के गहरे रंग के ऊनी वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं। इसी प्रकार ठण्डे प्रदेशों में शीत ऋतु के वस्त्र तथा गर्म प्रदेशों में ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र उपयोग करना आवश्यक होता है।



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