InterviewSolution
| 1. |
वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ? इसके गुण व दोषों का वर्णन कीजिए। यावस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ? इसकी कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।याविनिमय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। यावस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? वस्तु विनिमय प्रणाली के लाभों (गुणों) का वर्णन कीजिए।यासंक्षेप में विनिमय में लाभ एवं हानियों का वर्णन कीजिए। |
|
Answer» आवश्यकता आविष्कारों की जननी है। अतः मनुष्य की आवश्यकताओं में वृद्धि के कारण ही ‘विनिमय’ का आविष्कार (जन्म) हुआ। यह विनिमय अब तक दो रूपों में प्रचलित है वस्तु विनिमय की परिभाषा वस्तु विनिमय प्रणाली के गुण/लाभ 1. सरलता – वस्तु विनिमय प्रणाली एक सरल प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें वस्तु के बदले वस्तु का लेन-देन होता है। एक व्यक्ति अपनी अतिरिक्त वस्तु दूसरे जरूरतमन्द व्यक्ति को देकर उसके बदले अपनी आवश्यकता की वस्तु उस व्यक्ति से प्राप्त कर लेता है। 2. पारस्परिक सहयोग – वस्तु विनिमय प्रणाली से आपसी सहयोग में वृद्धि होती है, क्योंकि मनुष्य अपनी अतिरिक्त वस्तुओं को अपने समीप के व्यक्ति को देकर उससे अपनी आवश्यकता की वस्तु प्राप्त कर लेता है, जिससे उनमें पारस्परिक सहयोग की भावना बलवती होती है। 3. धन का विकेन्द्रीकरण – वस्तु विनिमय प्रणाली में मुद्रा पद्धति के अभाव के कारण धन का केन्द्रीकरण कुछ ही हाथों में न होकर समाज के सीमित क्षेत्र के लोगों में बँट जाता है। वस्तुओं के शीघ्र नष्ट होने के भय के कारण वे वस्तुओं का संग्रहण अधिक मात्रा में नहीं कर पाते हैं। अत: वस्तु विनिमय प्रणाली में सभी पारस्परिक सहयोग की भावना से मानव-हित को सर्वोपरि मानकर कार्य करते हैं। 4. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए उपयुक्त – विभिन्न देशों की मुद्राओं में भिन्नता के कारण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के भुगतान की समस्या बनी रहती है, जबकि 5. मौद्रिक पद्धति के दोषों से मुक्ति – वस्तु विनिमय प्रणाली मुद्रा-प्रसार व मुद्रा-संकुचन के दोषों से मुक्त है, क्योंकि इसमें वस्तुएँ मुद्रा से नहीं बल्कि वस्तुओं के पारस्परिक आदान-प्रदान से ही प्राप्त की जाती हैं। इससे वस्तुओं के सस्ते या महँगे होने का भय नहीं रहता। परिणामस्वरूप मुद्रा की मात्रा की वस्तुओं के मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 6. दोनों पक्षों को उपयोगिता का लाभ – वस्तु-विनिमय की क्रिया उन्हीं व्यक्तियों द्वारा की जाती है, जिनके पास वस्तुओं का आधिक्य होता है, जबकि सम्बन्धित वस्तु की उपयोगिता उस व्यक्ति के लिए अपेक्षाकृत कम होती है। यह सर्वमान्य है कि व्यक्ति कम उपयोगी वस्तु को देकर अधिक उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त करना चाहता है। इस प्रकार वस्तु विनिमय की क्रिया में दोनों पक्षों को ही उपयोगिता का लाभ प्राप्त होता है। वस्तु विनिमय की असुविधाएँ या कठिनाइयाँ या दोष 1. दोहरे संयोग का अभाव – वस्तु विनिमय प्रणाली की सबसे बड़ी कठिनाई दोहरे संयोग का अभाव है। इस प्रणाली के अन्तर्गत मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऐसे व्यक्ति की खोज में भटकना पड़ता है जिसके पास उसकी आवश्यकता की वस्तु हो और वह व्यक्ति अपनी वस्तु देने के लिए तत्पर हो तथा वह बदले में स्वयं की उस मनुष्य की वस्तु लेने के लिए तत्पर हो। उदाहरण के लिए-योगेश के पास गेहूँ हैं और वह गेहूं के बदले चावल प्राप्त करना चाहता है, तो योगेश को ऐसा व्यक्ति खोजना पड़ेगा जिसके पास चावल हों और साथ-ही-साथ वह बदले में गेहूं लेने के लिए तैयार हो। इस प्रकार दो पक्षों का ऐसा पारस्परिक संयोग, जो एक-दूसरे की आवश्यकता की वस्तुएँ प्रदान कर सके, मिलना कठिन हो जाता है। |
|