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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

Answer»

बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।

2.

लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के किस अन्य गुण पर मुग्ध था और क्यों?

Answer»

लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के किस अन्य गुण पर मुग्ध था और क्यों?

3.

ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति साधु’ है?

Answer»

साधु प्रायः गेरुए वस्त्रों में या रामनामी वस्त्र लपेटे नज़र आते हैं। उनके बढ़े दाढ़ी और जटाजूट उनके साधु होने के साधन से दिखते हैं पर यह आवश्यक नहीं कि गेरुआ वस्त्र पहनने वाला हर व्यक्ति साधु ही हो। इस कलयुग में ढोंगियों ने भी यही वस्त्र अपना लिया है, इसलिए पहनावे के आधार पर किसी को साधु नहीं माना जा सकता है। 

वास्तव में साधु की पहचान उसके पहनावे के आधार पर न करके उसके विचार और व्यवहार पर करना चाहिए। आडंबरहीन जीवन, सद्व्यवहार, सत्यवादिता, परोपकार की भावना पहनावे की सादगी एवं विचारों की उच्चता देखकर किसी भी व्यक्ति को साधु की श्रेणी में रखा जा सकता है।

4.

लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु क्यों मानता है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

बालगोबिन भगत घर-परिवार वाले आदमी थे। उनके परिवार में उनका बेटा और पतोहू थे। उनके पास खेतीबारी और साफ़ सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबिन भगत साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषाओं पर खरा उतरते थे, इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।

5.

भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

Answer»

जिस तरह के टेक और नेम-व्रत वाली भगत की दिनचर्या थी, उसी प्रकार उनकी मृत्यु हुई। वे अपने गायन के माध्यम से अपने साहब की निकटता पाना चाहते थे। ऐसा उन्होंने मृत्यु से पूर्ण सायंकाल तक गीत गाकर किया। इसके अलावा वे जीवन में दोनों समय स्नान-ध्यान करते थे। इसे उन्होंने आमरण निभाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि भगत की मृत्यु । उन्हीं के अनुरूप हुई।

6.

भगत की किस दलील के आगे उनकी पतोहू की एक न चली?

Answer»

भगत ने अपने बेटे की श्राद्ध की अवधि खत्म होते ही अपनी पतोहू के भाई को बुलवाया और आदेश दिया कि इसकी। दूसरी शादी कर देना। भगत की पतोहू उनके बुढ़ापे का ध्यान रखकर उन्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती थी, पर भगत ने कहा कि यदि तू न गई तो मैं घर छोड़कर चला जाऊँगा। इस दलील के आगे उसकी एक न चली।

7.

पुत्र की मृत्यु के अवसर पर भगत अपनी पतोहू को परंपरा से हटकर कौन-सा कार्य करने को कह रहे थे और क्यों?

Answer»

पुत्र की मृत्यु के अवसर पर भगत तल्लीनता से गाए जा रहे थे और उनकी पतोहू विलाप कर रही थी। इसी समय भगत अपनी पतोहू से रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। भगत ऐसा इसलिए कह रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि मृत्यु | खुशी का अवसर है। इस समय आत्मा और परमात्मा का मिलन हो जाता है।

8.

भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?

Answer»

बालगोबिने भगत का इकलौता बेटा कुछ सुस्त और बोदा-सा था। भगत का मानना था कि ऐसे लोगों पर ज्यादा निगरानी रखते हुए प्यार करना चाहिए क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। इस कारण भगत अपने उस बेटे को अधिक प्यार करते थे।

9.

भगत का आँगन नृत्य-संगीत से किस तरह ओत-प्रोत हो उठता था?

Answer»

गरमियों में भगत और उनकी प्रेमी मंडली आँगन में आसन जमाकर बैठ जाते। वहाँ पुँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। बालगोबिन एक पद गाते, प्रेमी-मंडली उसे दोहराती-तिहराती। धीरे स्वर एक निश्चित लय, ताल और गति से ऊँचा होने लगता और गाते-गाते भगत नाचने लगते। इस प्रकार सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाती।

10.

भगत प्रभातियाँ किस महीने में गाया करते थे? उनके प्रभाती गायन का वर्णन कीजिए।

Answer»

भगत प्रभातियाँ कार्तिक से फाल्गुन महीने तक गाया करते थे। इन महीनों में वे कड़ाके की सरदी में तड़के भोर में उठ जाते थे। वे नदी स्नान को जाते और लौटते समय पोखर के भिंडे पर चटाई बिछाकर पूरब की ओर मुँह करके प्रभातियाँ टेरना शुरू कर देते। गाते-गाते इतने सुरूर और उत्तेजना से भर जाते कि श्रमबिंदु छलक उठते थे।

11.

‘भगत अपनी सब चीज़ साहब की मानते थे’, उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।

Answer»

बालगोबिन भगत अपनी सब चीज़ साहब की मानते थे, इसका उदाहरण यह है कि उनके खेत में जो कुछ पैदा होता था, उसे सिर पर लादकर ‘साहब’ के दरबार में ले जाते थे। उस दरबार अर्थात् मठ में उसे भेंट स्वरूप रख लिया जाता और उन्हें जो कुछ प्रसाद स्वरूप दिया जाता, उसी में गुज़ारा करते थे।

12.

मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

Answer»

यह नि:संदेह सत्य है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है, इसे भगत के जीवन की इन दो घटनाओं के आधार पर सत्य सिद्ध किया जा सकता है 

• लोग अपने प्रियजनों की मृत्यु पर रोते-धोते हैं यह उनका मोह है परंतु भगत अपने बेटे से प्रेम करते हैं। वे जीते जी उसे प्रेम का अधिक हकदार मानते रहे और उसकी मृत्यु पर आत्मा-परमात्मा का मिलन माना। 

• भगत अपने बुढ़ापे में अकेला होने पर भी बहू को उसके भाई के साथ भेज देते हैं। अपने बुढ़ापे से मोह नहीं दिखाते हैं, परंतु बहू से प्रेम करते हुए उसके भाई से उसका पुनर्विवाह करने का आदेश देते हैं।

13.

पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

Answer»

बालगोबिन भगत सुमधुर कंठ से इस तरह गाते थे कि कबीर के सीधे-सादे पद भी उनके मुँह से निकलकर सजीव हो उठते थे। उनके गीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते थे और काम करने वालों के कदम लय-ताल से उठने लगते थे। इसके अलावा भादों की अर्धरात्रि में उनका गान सुनकर उसी तरह चौंक उठते थे, जैसे अँधेरी रात में बिजली चमकने से लोग चौंक कर सजग हो जाते हैं।

14.

गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?

Answer»

भारत गाँवों का देश है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या के जीवन निर्वाह का साधन कृषि है। भारतीय कृषि मानसून पर आधारित है। मानसून की शुरुआत वर्षा के पहले महीने आषाढ़ से शुरू होती है। आषाढ़ आते ही गाँववासी बादलों की राह देखते हैं। बादलों के बरसते ही वे अपने कृषि कार्यों की शुरूआत कर देते हैं। खेतों की जुताई-बुबाई, धान की रोपाई जैसे कार्य शुरू कर दिए जाते हैं। इसी महीने में गरमी की तपन से राहत मिलती है। यह महीना ग्रामीण बच्चों के लिए बड़ा ही आनंददायी होता है। पानी भरे खेतों की कीचड़ में खेलना उन्हें बहुत रुचिकर लगता है। इस समय गाँव के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश का उल्लास देखते ही बनता है।

15.

भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

Answer»

भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर औरों की तरह शोक और मातम नहीं मानाया। वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन मानकर इससे दुखी होने के बजाय खुश होने का समय मान रहे थे। वे अपनी पुत्रवधू को भी आनंदोत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे।

16.

भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

बालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले गोरे-चिट्टे इंसान थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे बालगोबिन भगत और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सरदियों में वे काली कमली ओढ़े रहते थे।

17.

भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

Answer»

भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम-धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं, जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत को रोटियाँ बनाकर देना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी।

18.

पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?

Answer»

बालगोबिन ‘भगत का पहनावा और आचरण कबीर पंथियों जैसा था। वे कबीर को साहब मानते थे और उनसे असीम श्रद्धा और विश्वास रखते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई है 

• उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था। 

• उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता है। 

• वे अपने खेत की सारी उपज कबीरपंथी मठ पर ले जाकर चढ़ावे के रूप में अर्पित कर देते थे और जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता उसी से घर चलाते। 

• वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते और दूसरे की वस्तु अस्पृश्य समझते। 

• उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए द्रिन बिताया। 

• उन्होंने आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर मृत्यु को दोनों के मिलन का शुभ अवसर बताया। उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।

19.

धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

आषाढ़ महीने की रिमझिम के बीच सारा गाँव खेतों में उमड़ पड़ा है। शीतल पुरवाई चल रही है। आसमान बादलों से आच्छादित है। कहीं हल चल रहे हैं कहीं रोपनी हो रही है। बच्चे पानी भरे खेत में खेल रहे हैं। औरतें कलेवा लिए मेंड़ पर बैठी हैं। इसी समय भगत का कंठ फूट पड़ता है और उनके स्वरों की गूंज आसपास के लोगों को झूमने के लिए विवशकर देती है। इसे सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते हैं और गीत की लय-ताल पर अँगुलियाँ रोपाई करने लगती हैं तथा कदम उठने लगते हैं।

20.

आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

Answer»

मेरी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के अनेक कारण रहे होंगे– 

• कबीर भी घर-परिवार के साथ रहते हुए साधुओं जैसा जीवन बिताते थे। 

 कबीर वायाडंबरों से दूर रहकर सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाले थे। यह भगत को पसंद आया होगा। 

• कबीरदास का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ भगत को पसंद आया होगा। 

• भगत को कबीर का खरा-खरा व्यवहार करना बहुत पसंद आया होगा।

21.

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

Answer»

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी, सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था, उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में न लाते थे। इस नियम का वे इतना बारीकी से पालन करते कि दूसरे के खेत में शौच के लिए भी न बैठते थे। इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सरदियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना, उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी।

22.

बालगोबिन भगत के संगीत को जादू क्यों कहा गया है?

Answer»

बालगोबिन भगत का संगीत हर आयुवर्ग के लोगों पर समान रूप से असर करता था। उनका स्वर अचानक एक मधुर स्वर तरंग झंकृत-सी हो उठती है। उनके मधुर गान को सुनकर बच्चे झूम उठते थे, मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ गुनगुना उठते थे, हलवाहों के पैर ताल से उठने से लगते थे और रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ क्रम से चलने लगती थीं।

23.

कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता 

• भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर न शोक मनाया और न उसके क्रिया-कर्म को ज्यादा तूल दिया। 

• उन्होंने पुत्र केशव को स्वयं मुखाग्नि न देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी। 

• उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना। 

• वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।

24.

बालगोबिन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए क्या किया?

Answer»

बालगोबिन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए दो कार्य किया 

• उन्होंने अपने पुत्र को अपनी पतोहू से मुखाग्नि दिलाकर महिलाओं को पुरुषों के बराबर लाने का प्रयास किया। 

• अपने पुत्र की मृत्यु ने पतोहू के भाई को बुलवाकर आदेशात्मक स्वर में कहा, ”इसकी दूसरी शादी कर देना”। इस प्रकार विधवा विवाह के माध्यम से उन्होंने नारियों की सामाजिक स्थिति को सुधारना चाहा।।

25.

बालगोबिन भगत अपने साधु और गृहस्थ होने का स्वाभिमान कैसे बनाए रखते थे? उनकी गंगा-स्नान यात्रा के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

Answer»

बालगोबिन भगत प्रति वर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे। इस यात्रा में चार-पाँच दिन लग जाते थे। भगत इतने स्वाभिमानी थे कि पैदल आते-जाते किंतु किसी का सहारा न लेते। वे मानते थे कि साधु को संबल लेने का के या हक। इसी प्रकार वे रास्ते में उपवास कर लेते पर किसी से माँगकर न खाते क्योंकि वे कहते थे कि गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे। इस प्रकार उन्होंने साधु और गृहस्थ होने के स्वाभिमान को बनाए रखा।