InterviewSolution
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गुट-निरपेक्षता की प्रेरक शक्तियों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» गुटनिरपेक्षता की प्रेरक शक्तियाँ ⦁ गुट निरपेक्षता की प्रमुख प्रेरक-शक्ति राष्ट्रवाद की भावना है। राष्ट्रवाद तथा गुट-निरपेक्षता के मध्य सहयोग से स्पष्ट है कि नवोदित राष्ट्रों के नेता अपनी गुट-निरपेक्षता के समर्थन में राष्ट्रवाद का सहारा लेते रहे हैं। |
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गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत के योगदान का परीक्षण कीजिए। |
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Answer» गुट-निरपेक्षता में भारत का योगदान प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी भी गुट-निरपेक्ष आन्दोलन को प्रभावशाली बनाने के लिए कृतसंकल्प थे। 15 अगस्त, 1986 को श्री राजीव गाँधी ने कहा था कि “भारत की गुट-निरपेक्षता की नीति के कारण ही भारत का विश्व में आदर है। भारत बोलता है तो वह आवाज सौ करोड़ लोगों की होती है। गुट-निरपेक्षता के मार्ग पर चलकर भारत आज बिना किसी दबाव के बोलता है। उसके साथ संसार के दो-तिहाई गुट-निरपेक्ष देशों की आवाज होती है।” नवे शिखर सम्मेलन (सितम्बर 1989 ई०) में प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी ने कहा था कि गुट निरपेक्ष आन्दोलन तभी गतिशील रह सकता है, जब यह उन्हीं सिद्धान्तों पर चले, जिन पर चलने का वायदा यहाँ 1961 ई० में प्रथम सम्मेलन में सदस्यों ने किया था। ग्यारहवें शिखर सम्मेलन में भारत ने दो बातों के प्रसंग में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। भारत ने आणविक शस्त्रों पर आणविक शाक्तियों के एकाधिकार का विरोध किया। बारहवें सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान की आणविक विस्फोट के लिए आलोचना की गयी। सम्मेलन में सम्मेलन के अध्यक्ष नेल्सन मण्डेला द्वारा कश्मीर समस्या का उल्लेख किये जाने पर भारत द्वारा कड़ी आपत्ति की गयी। भारत की आपत्ति को दृष्टि में रखते हुए नेल्सन मण्डेला ने अपना वक्तव्य वापस ले लिया। तेरहवें शिखर सम्मेलन में प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता हेतु भी पहल की। प्रधानमन्त्री वी०पी० सिंह भी गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के प्रबल समर्थक रहे हैं और तत्पश्चात् प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर भी। इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए प्रयत्नशील थे। प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव ने भी इसी नीति को जारी रखा। इसके बाद प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार देश की सुरक्षा और अखण्डता के मुद्दे पर समयानुसार विदेश नीति निर्धारित करने के लिए दृढ़ संकल्प थी। वर्तमान में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी भी इसी नीति को जारी रखे हुए हैं। |
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गुट-निरपेक्षता तथा तटस्थता के मध्य अन्तर बताइए। |
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Answer» कुछ विद्वान गुट-निरपेक्षता को तटस्थता की स्थिति मानते हैं, परन्तु यह तटस्थता से बिल्कुल पृथक् नीति है। तटस्थता तथा गुट-निरपेक्षता की यदि गम्भीरता से तुलना की जाए तो निम्नलिखित अन्तर सामने आते हैं- ⦁ तटस्थता दो आक्रामकों तथा उनके मध्य संघर्ष के प्रति उदासीनता के दृष्टिकोण का दावा करता है। गुट-निरपेक्षता ऐसा कुछ नहीं करती है। इसके विपरीत, यह प्रत्येक समस्या का उसके गुण के आधार पर न्याय करती है तथा अपने स्वतन्त्र मत की घोषणा करती है। तटस्थता का परिवर्तनशील सिद्धान्त गुट-निरपेक्षता के विचार को शीतयुद्ध अथवा परमाणु सन्धि की अवधि में ही अपने अन्तर्गत समाहित किए हुए है। संक्षेप में, गुट-निरपेक्षता एक सकारात्मक तटस्थता ही है। |
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गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» ⦁ शक्तिशाली गुटों से पृथक् रहना तथा सैन्य गुटों में सम्मिलित न होना तथा |
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गुट-निरपेक्षता की त्रिमूर्ति में कौन-कौन लोग थे?यागुट-निरपेक्ष आन्दोलन के दो संस्थापक नेताओं के नाम बताइए। यागुट-निरपेक्ष आन्दोलन के किसी एक संस्थापक का नाम लिखिए। |
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Answer» भारत के प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टोटो तथा मिस्र के राष्ट्रपति कर्नल नासिर। |
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प्रथम गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था- (क) काहिरा, 1964 में(ख) हवाना, 1979 में(ग) बेलग्रेड, 1961 में(घ) लुसाका, 1970 में |
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Answer» सही विकल्प है (ग) बेलग्रेड, 1961 में |
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