InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 5901. |
अबला का क्या अर्थ है? |
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Answer» Aabla means kamjor (weak) कमजोर |
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| 5902. |
आप धीरे क्यों चल रहे हैं ?धीरे का पद परिचय लिखो । |
| Answer» Riti wachack kriya vishashan | |
| 5903. |
Advertisement on environment |
| Answer» | |
| 5904. |
\'गंगातट\' में कौन-सा समास है ? |
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Answer» Issme tathpurush samas hai Gangatat = ganga ka tat गंगातट- गंगा का तट - तत्पुरुषसमास - दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जब एक नया शब्द बनता है , उसे समास कहते है । |
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| 5905. |
लक्ष्मण के अनुसार रघुकुल के लोग किन किन पर दया करते थे? |
| Answer» लक्ष्मण के अनुसार रघुकुल के लोग माता-पिता; वृद्ध; हरि भक्त तथा ब्राह्मण पर दया करते थे और उन पर बाण नहीं चलाते थे क्योंकि इससे उनका अपयश होता था तथा हारने से अपकीर्ति होती थी. | |
| 5906. |
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है\xa0? |
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Answer» गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं। गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?उत्तरगोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं। |
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| 5907. |
सूचना लेखन |
| Answer» सूचना-लेखन की विधि\tसूचना लेखन में सबसे ऊपर विद्यालय या संस्था का नाम लिखा जाता है। इससे ज्ञात होता है कि सूचना किस कार्यालय द्वारा दी जा रही है; जैसे-विद्या भारती सेकेंड्री स्कूल, ज्योति नगर, दिल्लीखेल परिषद\tअगली पंक्ति में मोटे अक्षरों में लिखना चाहिएसूचनाइसके बाद शीर्षक और उसके नीचे अगले एक अनुच्छेद में इस तरह लिखनी चाहिए –हमारे विद्यालय की खेल परिषद दवारा आगामी सोमवार को प्रात: 9 बजे एक टायल कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसके माध्यम से विभिन्न खेलों-क्रिकेट, टेबल-टेनिस, लंबी दौड़, फुटबॉल, वॉलीबाल, कबड्डी आदि की टीम बनाने हेतु संभावित खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। जो छात्र-छात्राएँ इसमें अपनी खेल प्रतिभा दिखाना चाहते हैं वे अधोहस्ताक्षरी के पास तीन दिनों के भीतर अपना नामांकन अवश्य करा दें।करतार सिंह(खेल शिक्षक)सचिव, खेल परिषद्इस तरह हमने देखा कि –\tसूचना की भाषा की अपनी अलग विशेषता होती है।\tइसे अन्य पुरुष में लिखा जाता है, जैसे सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि।\tसूचना लेखन में कम शब्दों के माध्यम से गागर में सागर भरने का प्रयास किया जाता है।\tशीर्षक बीच में दो-तीन शब्दों का होता है; जैसे\tरक्तदान शिविर का आयोजनकवि सम्मेलन का आयोजनदिल्ली दर्शन का कार्यक्रम\t\t\tअंत में बाएँ कोने में सूचना लेखक का नाम, पद आदि का उल्लेख होता है। | |
| 5908. |
उत्साह अट नहीं रही है कविता के आधार पर बताइये की जीवन मे उत्साह क्यों जरूरी है |
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Answer» जीवन में उत्साह की कमी होने से मनुष्य अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता हम जितने उत्साह से कार्य करेगे कार्य उतनी ही तेजी से होगा, साथ ही समाज में परिवर्तन लाने के लिए उत्साह का होना आवश्यक है। kyuki utsah k bina jeevan jeena sambhav nhi h aagr hm koi karya utsah se nhi krege to koi kaam pura nhi krskte |
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| 5909. |
कवि के अनुसार बादल किससे और कब शांति देता है |
| Answer» कवी के अनुसार बादल धरती तथा उसके लोगो को झुलसा देने वाली गर्मी में पानी बरसा के शांति देता है..... | |
| 5910. |
Sllebus |
| Answer» It\'s syllabus dear , but you want which syllabus?? | |
| 5911. |
gopiyo davara udhdv Ko bhagyvan kahne me kya vayang nihit hai |
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Answer» गोपियों को उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग निहित है कि यदि उद्घव कभी स्नेह के धागे में बंधे होते तो वे विरह की वेदना को अवश्य अनुभूत कर पाते। Gopi Uddhav Ko bhagyavan Ka unhen bhagyavan artharth Bhagya Kahate Hain vah UN per Bank kurta purvak Bhagwan Kahate Hain Kal to paper hai aur 21 se autumn break start haiKal to paper hai aur 21 se autumn break start haiKal to paper hai aur 21 se autumn break start haiKal to paper hai aur 21 se autumn break start hai |
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| 5912. |
\'Bade bhaae sahab\' kahani mein chota bhaae apne bade bhaae se kis prakar darta h? |
| Answer» | |
| 5913. |
leather jacket par aakarshak vighyapan likhiye? |
| Answer» | |
| 5914. |
Bholanath ka kiske sath jyada lagao tha |
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Answer» Apne pitaji ke sath उसके पिता से Apne pita ji ke saath Apne pita se |
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Gopiya kis Ko viyathi kahati Hain |
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Answer» Udhav ko Pakka Udhav ko... |
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| 5916. |
Neta Ji ki Murti par chashma kaun lagata tha |
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Answer» Captain Captain chasme wala Caption chasme wala Captain jo ek jasme wala tha... Captain |
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Neta Ji ki Murti Kahan sthiti thi |
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Answer» Us kasbe ke chaurahe par kasbe ke chaurahe per... |
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Kis ke bagair murti buri lagti thi |
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Answer» Chashme Ke Bina Kyunki vah Netaji Subhash Chandra BOS ka aatm Samman tha... Chasma ke bina Chasma ke bagair |
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| 5919. |
Gandhi Ji ne bhashan Diya ise karmvachan mein badaliye |
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Answer» Gandhi ji duara bhasan diya gaya गांधी जी द्वारा भाषण दिया गया। Gandhi ji ke dwara bhashan diya gya |
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Bad bhaagi ki meaning in hindi |
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Answer» भाग्यशाली Bhagya shali |
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| 5921. |
एहीं ठैयाँ हेरानी हो राम पाठ |
| Answer» This chapter was deleted by CBSE. | |
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एही ठैयाँ हेरानी हो राम |
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Answer» पाठ नहीं है इसमें हीदीं कृतिका पाठ |
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| 5923. |
filmi udhyog aur nashakhori par 100-150 words mei anuchhed likhiye ?please send it fast |
| Answer» | |
| 5924. |
Kumkum class 7th san |
| Answer» | |
| 5925. |
कौसिक यहाँ किसे कहा गया है? परशुराम ने लक्ष्मण की शिकायत उनसे क्यों की है? |
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Answer» कौशिक विश्वामित्र को कहा गया है। परशुराम लक्ष्मण की शिकायत उनसे इसलिए करते हैं क्यूँकि विश्वामित्र लक्ष्मण के गुरु हैं विश्वामित्र को Ram Lakshman parashuram samvad mei कौसिक विश्वामित्र को कहा गया है। |
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| 5926. |
Can anyone give me MCQs (not less than 20) on padh parichay for board exam preparation? |
| Answer» | |
| 5927. |
\' नई दिल्ली में सब कुछ था , बस नाक नहीं थी\' इस पंक्ति का मतलब स्पष्ट कीजिये |
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Answer» नई दिल्ली में सब था, सिर्फ नाक नहीं थी-यह कहकर लेखक स्पष्ट करना चाहता है कि भारत के स्वतंत्र होने पर वह सर्वथा संपन्न हो चुका था, कहीं भी विपन्नता नहीं थी। अभाव था तो केवल आत्मसम्मान का, स्वाभिमान का। संपन्न होने पर भी देश परतंत्रता की मानसिकता से मुक्त नहीं हो सका है। अंग्रेज का नाम आते ही हीनता का भाव उत्पन्न होता था कि ये हमारे शासक रहे हैं। गुलामी का कलंक हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है। इसलिए लेखक कहता है कि दिल्ली में सिर्फ नाक नहीं I \xa0नई दिल्ली में सब था, सिर्फ नाक नहीं थी-यह कहकर लेखक स्पष्ट करना चाहता है कि भारत के स्वतंत्र होने पर वह सर्वथा संपन्न हो चुका था, कहीं भी विपन्नता नहीं थी। अभाव था तो केवल आत्मसम्मान का, स्वाभिमान का। ... इसलिए लेखक कहता है कि दिल्ली में सिर्फ नाक नहीं भी। |
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| 5928. |
और देखतेह देखते नई दल का कायापलट होनेलगा " नई दल के काया पलट के लए या यायन कए गए ? |
| Answer» Write ur question properly | |
| 5929. |
हारिल की लकरी किसे कहा जाता है और क्यों |
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Answer» श्री कृष्ण को हरील पक्षी हमेशा अपने पैर में लकड़ी दबाए रहता है। श्री कृष्ण को श्री कृष्ण को |
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| 5930. |
बालगोबिन भगत का संगीत किसे जगाता था कंप्लीट आंसर |
| Answer» | |
| 5931. |
Bhavani prasad ki kavita prani wahi prani aur manushyta mein kya samanta hai |
| Answer» | |
| 5932. |
लेखिका ने मार्ग के बदलते सौंदर्य को माया और छाया का खेल क्यूं कहा है |
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Answer» Lekin kyun kaha hai लेखिका ने यूमथांग के रास्ते पर दुर्लभ प्राकृतिक सौंदर्य देखा। ये दृश्य उसकी आँखों और आत्मा को सुख देने वाले थे। धरती पर कहीं गहरी हरियाली फैली थी तो कहीं हल्का पीलापन दिख रहा था। कहीं-कहीं नंगे पत्थर ऐसे दिख रहे थे जैसे प्लास्टर उखड़ी पथरीली दीवार हो। देखते ही देखते आँखों के सामने से सब कुछ ऐसे गायब हो गया, जैसे किसी ने जादू की छडी फिरा दी हो, क्योंकि बादलों ने सब कुछ ढक लिया था। प्रकृति के इसी दृश्य को लेखिका ने छाया और माया का खेल कहा है। |
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| 5933. |
रस की paribhasa |
| Answer» Kisi kavyansh ko padhkar hmare man me jo bhaav paida ho use ras kahte hain | |
| 5934. |
Gopiyan yog sandesh ko kiske liye upyukt manti hai |
| Answer» गोपियाँ योग संदेश को उन लोगो के लिए उपयुक्त मानती है जिनके मन चकरी के समान चंचल है अर्थात जिनके मन मे कृष्णा के लिए प्रेम नहीं है | |
| 5935. |
गोपियो के द्वारा ग ए तर्को का विस्तार पूर्वक वर्णन किजिए। |
| Answer» | |
| 5936. |
Unhen Aadha Musalman Samjha Jata tha |
| Answer» To | |
| 5937. |
दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए एक सन्देश |
| Answer» | |
| 5938. |
खेतीबाड़ी से जुड़े गृहस्थ balgobin भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे |
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Answer» Ok balgobin grihast the fir bhi oo sadhu the .iska karan iski pramukh visheshtaye h jaise oo kabir ko Sahab mante the aur unke adesho ka palan krte the aur oo kabhi jhuth nhi bolte the jiske karan oo grihast hote hue bhi sadhu the .( I am write in English because in my iPhone Hindi keyboard are not available) |
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| 5939. |
Pad parichay definition and types |
| Answer» Vakya mein aaye pado ka vistrit vyakarnik prichay Dena hi pad Parichay kehlata hai | |
| 5940. |
रस के भेदो के दो दो उदाहरण दीजिए। |
| Answer» रस – साहित्य का नाम आते ही रस का नाम स्वतः आ जाता है। इसके बिना साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारतीय साहित्य शास्त्रियों ने साहित्य के लिए रस की अनिवार्यता समझा और इसे साहित्य के लिए आवश्यक बताया। वास्तव में रस\xa0Ras\xa0काव्य की आत्मा है।रस के अंग-रस के चार अंग माने गए हैं –\tस्थायीभाव:\xa0कविता या नाटक का आनंद लेने से सहृदय के हृदय में भावों का संचार होता है। ये भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान होते हैं। सुषुप्तावस्था में रहने वाले ये भाव साहित्य के आनंद के द्वारा जग जाते हैं और रस में बदल जाते हैं\tविभाव:\xa0विभाव का शाब्दिक अर्थ है-भावों को विशेष रूप से जगाने वाला अर्थात् वे कारण, विषय और वस्तुएँ, जो सहृदय के हृदय में सुप्त पड़े भावों को जगा देती हैं और उद्दीप्त करती हैं, उन्हें विभाव कहते हैं।\tअनुभाव:\xa0अनुभाव दो शब्दों ‘अनु’ और भाव के मेल से बना है। ‘अनु’ अर्थात् पीछे या बाद में अर्थात् आश्रय के मन में पनपे भाव और उसकी वाह्य चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।\tजैसे-चुटकुला सुनकर हँस पड़ना, तालियाँ बजाना आदि चेष्टाएँ अनुभाव हैं।\tसंचारीभाव:\xa0आश्रय के चित्त में स्थायी भाव के साथ आते-जाते रहने वाले जो अन्य भाव आते रहते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनका दूसरा नाम अस्थिर मनोविकार भी है।\tचुटकुला सुनने से मन में उत्पन्न खुशी तथा दुर्योधन के मन में उठने वाली दुश्चिंता, शोक, मोह आदि संचारी भाव हैं।\tसंचारी भावों की संख्या 33 मानी जाती है। | |
| 5941. |
keptan ki mrityu ka samachar dete hue paan wala udaass kyu ho gaya |
| Answer» Panwala udas ho gaya. Usne peeche mudkar muh ka pan neeche thuka aur sar jhukakar apni dhoti ke sire se aankhe pochta hua bola- \'Sahab! Captain mar gaya\'.Iss vaky se panwale ki bhavukta sambandi visheshta ubharkar aati hai. Captain ke jeete ji usse langda thata pagal kehne wala uske mrutyu ke baad hi yeh samaj paaya tha ki captain jaise log desh bhakto thata kasbe ke sammaan prahri hote hai. | |
| 5942. |
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित हैं |
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Answer» Abe khud dekh le or khud homework kar ? गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती है कि श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। वे कैसे श्री कृष्ण के स्नेह व प्रेम के बंधन में अभी तक नहीं बंधे?, श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। परन्तु ये उद्धव तो उनसे तनिक भी प्रभावित नहीं है प्रेम में डूबना तो अलग बात है। |
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| 5943. |
Ncert solution of all chapters |
| Answer» Given in this app alredy | |
| 5944. |
Ras Ke Kitne Ang Hain Hindi answer |
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Answer» 11 रस के 11 भेद होते हैं - * श्रृंगार रस *हास्य रस*रौद्र रस*करुण रस *वीर रस*अद्भुत रस*वीभत्स रस *भयानक रस*शांत रस*वात्सल्य रस*भक्ति रस Ras kay 4 ang h |
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| 5945. |
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अख़बार चुप क्यों थे? |
| Answer» जार्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन पत्रकारों को शायद अपनी बड़ी भूल का अहसास हो गया था। उस दिन केवल एक गुमनाम आदमी की नाक नहीं कटी थी बल्कि पूरे हिंदुस्तान की नाक कट गई थी। जिन अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए हजारों जिंदगियाँ कुर्बान हो गईं, उसी में से एक की बेजान बुत की नाक बचाने के लिए हमने अपनी नाक कटवा ली। इसलिए उस दिन शर्म से अखबार वाले चुप थे। | |
| 5946. |
\' अनन्त के घन \' किसे और क्यों कहा गया है? |
| Answer» कवि ने बादल को अनंत घन इसलिए कहा है ,क्योंकि बादलों का कभी अंत नहीं होता है। वे निरंतर बनते रहते हैं।\xa0 | |
| 5947. |
Ras aur uske Prakar detail Mein explain kar rahe Jo board exam mein aayega |
| Answer» रस\xa0का शाब्दिक अर्थ है\xa0\'आनन्द\'।\xa0काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे \'रस\' कहा जाता है।रस का सम्बन्ध \'सृ\' धातु से माना गया है। जिसका अर्थ है - जो बहता है, अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसी को रस कहते है।रस के ग्यारह भेद होते है-\xa0(1) शृंगार रस (2) हास्य रस (3) करूण रस (4) रौद्र रस (5) वीर रस (6) भयानक रस (7) बीभत्स रस (8) अदभुत रस (9) शान्त रस (10) वत्सल रस (11) भक्ति रस ।श्रृंगार रस नायक नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रंगार रस कहते हैं श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। इसका स्थाई भाव रति होता है नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रंगार रस कहलाता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।\xa0श्रृंगार रस – इसका स्थाई भाव रति\xa0हैउदाहरण -कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात,भरे भौन में करत है, नैननु ही सौ बातश्रंगार के दो भेद होते हैंसंयोग श्रृंगारजब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिगंन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है, तब संयोग शृंगार रस होता है।उदाहरण -बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।सौंह करै भौंहनि हँसै, दैन कहै नहि जाय।वियोग श्रृंगार\xa0जहाँ पर नायक-नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो लेकिन मिलन न हो अर्थात् नायक – नायिका के वियोग का वर्णन हो वहाँ वियोग रस होता है।\xa0वियोग का स्थायी भाव भी ‘रति’ होता है।जैसेनिसिदिन बरसत नयन हमारे,सदा रहति पावस ऋतु हम पै जब ते स्याम सिधारे॥हास्य रसहास्य रस मनोरंजक है। हास्य रस नव रसों के अन्तर्गत स्वभावत: सबसे अधिक सुखात्मक रस प्रतीत होता है।\xa0हास्य रस का स्थायी भाव हास है।\xa0इसके अंतर्गत वेशभूषा, वाणी आदि कि विकृति को देखकर मन में जो प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है, उससे हास की उत्पत्ति होती है इसे ही हास्य रस कहते हैं।हास्य दो प्रकार का होता है -: आत्मस्थ और परस्तआत्मस्थ हास्य केवल हास्य के विषय को देखने मात्र से उत्पन्न होता है ,जबकि परस्त हास्य दूसरों को हँसते हुए देखने से प्रकट होता है। \xa0उदाहरण -बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय।\xa0किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।नया उदाहरण-मैं ऐसा महावीर हूं,पापड़ तोड़ सकता हूँ।अगर गुस्सा आ जाए,तो कागज को मरोड़ सकता हूँ।।करुण रसइसका स्थायी भाव शोक होता है।\xa0इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं ।यधपि वियोग श्रंगार रस में भी दुःख का अनुभव होता है लेकिन वहाँ पर दूर जाने वाले से पुनः मिलन कि आशा बंधी रहती है।अर्थात् जहाँ पर पुनः मिलने कि आशा समाप्त हो जाती है करुण रस कहलाता है। इसमें निःश्वास, छाती पीटना, रोना, भूमि पर गिरना आदि का भाव व्यक्त होता है।या किसी प्रिय व्यक्ति के चिर विरह या मरण से जो शोक उत्पन्न होता है उसे करुण रस कहते है।उदाहरण -रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के।ग्लानि, त्रास, वेदना - विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके।।वीर रसजब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।\xa0इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है उसे ही वीर रस कहते हैं। इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है\xa0इसका स्थायी भाव उत्साह होता है।\xa0सामान्यत: रौद्र एवं वीर रसों की पहचान में कठिनाई होती है। इसका कारण यह है कि दोनों के उपादान बहुधा एक - दूसरे से मिलते-जुलते हैं। कभी-कभी रौद्रता में वीरत्व तथा वीरता में रौद्रवत का आभास मिलता है,लेकिन\xa0रौद्र रस\xa0के स्थायी भाव क्रोध तथा वीर रस के स्थायी भाव उत्साह में अन्तर स्पष्ट है।उदाहरण -बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।आद्याचार्य\xa0भरतमुनि\xa0ने वीर रस के तीन प्रकार बताये हैं –दानवीर, धर्मवीर, युद्धवीर ।- युद्धवीरयुद्धवीर का आलम्बन शत्रु, उद्दीपन शत्रु के पराक्रम इत्यादि, अनुभाव गर्वसूचक उक्तियाँ, रोमांच इत्यादि तथा संचारी धृति, स्मृति, गर्व, तर्क इत्यादि होते हैं।- दानवीरदानवीर के आलम्बन तीर्थ, याचक, पर्व, दानपात्र इत्यादि तथा उद्दीपन अन्य दाताओं के दान, दानपात्र द्वारा की गई प्रशंसा इत्यादि होते हैं।\xa0- धर्मवीरधर्मवीर में वेद शास्त्र के वचनों एवं सिद्धान्तों पर श्रद्धा तथा विश्वास आलम्बन, उनके उपदेशों और शिक्षाओं का श्रवण-मनन इत्यादि उद्दीपन, तदनुकूल आचरण अनुभाव तथा धृति, क्षमा आदि धर्म के दस लक्षण संचारी भाव होते हैं। धर्मधारण एवं धर्माचरण के उत्साह की पुष्टि इस रस में होती है।रौद्र रसइसका स्थायी भाव क्रोध होता है।\xa0जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं।इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।काव्यगत रसों में रौद्र रस का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भरत ने ‘नाट्यशास्त्र’ में शृंगार, रौद्र, वीर तथा वीभत्स, इन चार रसों को ही प्रधान माना है, अत: इन्हीं से अन्य रसों की उत्पत्ति बतायी है।\xa0उदाहरण -श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे॥संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ कर खड़े॥\xa0अद्भुत रसजब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होते हैं उसे ही अदभुत रस कहा जाता है इसके अन्दर रोमांच, औंसू आना, काँपना, गद्गद होना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं।\xa0इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है।उदाहरण -देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया।क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया॥\xa0भयानक रसजब किसी भयानक या बुरे व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे सम्बंधित वर्णन करने या किसी दुःखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता अर्थात परेशानी उत्पन्न होती है उसे भय कहते हैं उस भय के उत्पन्न होने से जिस रस कि उत्पत्ति होती है उसे भयानक रस कहते हैं इसके अंतर्गत कम्पन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिन्ता आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।\xa0इसका स्थायी भाव भय होता है।उदाहरण -अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल॥\xa0कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार ॥\xa0\xa0उदाहरण -एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय॥\xa0विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय॥\xa0भयानक रस के दो भेद हैं-\t\tस्वनिष्ठ\t\t\tपरनिष्ठ\t\xa0स्वनिष्ठ भयानक वहाँ होता है, जहाँ भय का आलम्बन स्वयं आश्रय में रहता है और परनिष्ठ भयानक वहाँ होता है, जहाँ भय का आलम्बन आश्रय में वर्तमान न होकर उससे बाहर, पृथक् होता है, अर्थात् आश्रय स्वयं अपने किये अपराध से ही डरता है।\xa0बीभत्स रसइसका स्थायी भाव जुगुप्सा होता है ।\xa0घृणित वस्तुओं, घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर या उनके संबंध में विचार करके या उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कि पुष्टि करती है दुसरे शब्दों में वीभत्स रस के लिए घृणा और जुगुप्सा का होना आवश्यक होता है।वीभत्स रस\xa0काव्य में मान्य नव रसों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। इसकी स्थिति दु:खात्मक रसों में मानी जाती है।\xa0इसके परिणामस्वरूप घृणा, जुगुप्सा उत्पन्न होती है।इस दृष्टि से करुण, भयानक तथा रौद्र, ये तीन रस इसके सहयोगी या सहचर सिद्ध होते हैं। शान्त रस से भी इसकी निकटता मान्य है, क्योंकि बहुधा बीभत्सता का दर्शन वैराग्य की प्रेरणा देता है और अन्तत: शान्त रस के स्थायी भाव शम का पोषण करता है।साहित्य रचना में इस रस का प्रयोग बहुत कम ही होता है।\xa0तुलसीदास\xa0ने\xa0रामचरित मानस\xa0के\xa0लंकाकांड\xa0में युद्ध के दृश्यों में कई जगह इस रस का प्रयोग किया है।\xa0उदाहरण- मेघनाथ माया के प्रयोग से वानर सेना को डराने के लिए कई वीभत्स कृत्य करने लगता है, जिसका वर्णन करते हुए\xa0तुलसीदास जी लिखते है-\'विष्टा पूय रुधिर कच हाडाबरषइ कबहुं उपल बहु छाडा\'(वह कभी विष्ठा, खून, बाल और हड्डियां बरसाता था और कभी बहुत सारे पत्थर फेंकने लगता था।)उदाहरण -आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जातेशव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खातेभोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटेखा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटेशान्त रसमोक्ष और आध्यात्म की भावना से जिस रस की उत्पत्ति होती है, उसको शान्त रस नाम देना सम्भाव्य है। इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है। वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है जहाँ न दुःख होता है, न द्वेष होता है। मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है शान्त रस कहा जाता है।\xa0इसका स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है।शान्त रस साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है - "शान्तोऽपि नवमो रस:।"\xa0इसका कारण यह है कि भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ में, जो रस विवेचन का आदि स्रोत है, नाट्य रसों के रूप में केवल आठ रसों का ही वर्णन मिलता है।उदाहरण -जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिंसब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिंवत्सल रसइसका स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है।\xa0माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।उदाहरण -बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवातिअंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावतिभक्ति रसइसका स्थायी भाव देव रति है।\xa0इस रस में ईश्वर कि अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है अर्थात इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है।उदाहरण -अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोईमीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई | |
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परशुराम ने गुरू द्र ोही ककसे कहा है? |
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Answer» अट नहीं रही है कविता के आधार पर फागुन में उम्र के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए महाराज जनेक द्वारा आयोजित धनुष यज्ञ में जिस धनुष को राम ने तोड़ा, वह परशुराम के गुरु भगवान शिव का धनुष था। |
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| 5949. |
Azad Hind Fauj ka gathan kisne kiya tha |
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Answer» नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने Netaji ne आज़ाद हिंद फ़ौज के दो नेता थे - एक कैप्टन मोहन सिंह और रास बिहारी बोस और दूसरे सुभाष चंद्र बोस के अधीन।Azad Hind Fauj had two leaders – one under Captain Mohan Singh and Ras Behari Bose and other under Subhash Chandra Bose. |
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| 5950. |
Netagi ka chsma kaisa tha |
| Answer» नेता जी की आँखों पर\xa0चश्मा\xa0नहीं\xa0था\xa0. यानी\xa0चश्मा\xa0तो\xa0था\xa0किन्तु\xa0चश्मा\xa0संगमरमर का नहीं\xa0था\xa0. एक सामान्य के चश्मे का चौड़ा काल फ्रेम को पहना दिया\xa0था\xa0. हालदार साहब को यह तरीका पसंद आया\xa0 | |