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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

2151.

देश प्रेम के क्या-क्या रुप हो सकते हैं नेता जी का चश्मा पाठ के आधार पर लिखिए

Answer»
2152.

Bad baghi kise aur kyu kha gya hai

Answer»
2153.

Dehati duniya ke mukhye aadmi ko kendra bindu man kar sahaye ji ki marmagta sidh kare

Answer»
2154.

भक्ति aur योग mein सूरदास जी ke anusar कौन से adhik prabhavshali hain

Answer» योग से जायदा भक्ति प्रवभवशाली है
2155.

How to write vigyapan ??

Answer»
2156.

Which ncert hindi book is for Course A

Answer» क्षितिज (भाग-2)\tकृतिका (भाग-2)
2157.

Ishwar ke prem ko pane ke liyaa apna pryasoo ka varanan karen

Answer»
2158.

खडं क अपठित बोध अभयास कार्य 2 class 9

Answer»
2159.

Format for writing a letter to pm in hindi or u can send it in English also

Answer»
2160.

Samajhdar log ladai aur jhagde se dur ..rehte hain ..ksun sa vakya h

Answer»
2161.

इस वाक्य का वाच्य दलदखए–‘अशोक िेदवश्व कोशांदत कासंदशे ददया|’

Answer» Khud dekh le
अशोक ने विश्व को शांति का संदेश दिया ।►वाच्य का भेद ▬ (क) कर्तृवाच्य\xa0वाच्य क्रिया के उस रूप को कहते हैं, जिससे वाक्य की कर्ता प्रधानता, कर्म प्रधानता अथवा भाव प्रधानता का बोध होता है। इसी के आधार पर क्रिया के लिंग और वचन निर्धारित होते हैं। वाच्य के तीन भेद होते हैं. \tकर्तृवाच्य \tकर्मवाच्य \tभाववाच्य कर्त वाच्य...राम विद्यालय जाता है। कर्म वाच्य...राम द्वारा विद्यालय जाया जाता है। भाव वाच्य...राम से विद्यालय जाया जाता है।
2162.

कौनसी ͪवशषे ताओं के कारण चæमेवाले को लोग कैÜटन कहकर पुकारते हɉगे ?

Answer»
2163.

Chapter 11 बालगोबिन भगत summary

Answer» बालगोबिन भगत मंझोले कद के गोर-चिट्टे आदमी थे। उनकी उम्र साठ वर्ष से उपर थी और बाल पक गए थे। वे लम्बी\xa0ढाढ़ी नही रखते थे और कपडे बिल्कुल कम पहनते थे। कमर में लंगोटी पहनते और सिर पर कबीरपंथियों की सी कनफटी टोपी।\xa0सर्दियों में ऊपर से कम्बल ओढ़ लेते। वे गृहस्थ होते हुई भी सही मायनों में साधू थे। माथे पर रामानंदी चन्दन का टीका और गले में तुलसी की जड़ों की बेडौल\xa0माला पहने रहते। उनका एक बेटा\xa0और पतोहू थे। वे कबीर को साहब मानते थे। किसी दूसरे की चीज़ नही छूटे और न बिना वजह\xa0झगड़ा करते। उनके पास खेती बाड़ी थी तथा साफ़-सुथरा मकान था। खेत से जो भी उपज होती, उसे पहले सिर पर लादकर कबीरपंथी मठ\xa0ले जाते और प्रसाद स्वरुप जो भी मिलता उसी से गुजर बसर करते।वे कबीर के पद का\xa0बहुत मधुर गायन करते। आषाढ़ के दिनों में जब समूचा गाँव खेतों में काम कर रहा होता तब बालगोबिन पूरा शरीर कीचड़ में लपेटे खेत में रोपनी करते हुए अपने मधुर गानों को गाते। भादो की\xa0अंधियारी में उनकी खँजरी बजती थी, जब सारा संसार सोया होता तब उनका संगीत जागता था। कार्तिक मास\xa0में उनकी प्रभातियाँ शुरू हो जातीं। वे अहले सुबह नदी-स्नान को जाते और लौटकर पोखर के ऊँचे भिंडे पर अपनी खँजरी लेकर बैठ जाते और अपना गाना शुरू कर देते। गर्मियों में अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। उनकी संगीत साधना का चरमोत्कर्ष तब देखा गया जिस दिन उनका इकलौता\xa0बेटा\xa0मरा। बड़े शौक से उन्होंने अपने बेटे कि शादी करवाई थी, बहू\xa0भी बड़ी सुशील थी। उन्होंने मरे हुए बेटे को आँगन में चटाई पर लिटाकर एक सफ़ेद कपड़े\xa0से ढक\xa0रखा था तथा उसपर कुछ फूल बिखरा पड़ा था। सामने बालगोबिन ज़मीन पर आसन जमाये गीत गाये जा रहे थे और\xa0बहू\xa0को रोने के बजाये उत्सव मनाने को कह रहे थे चूँकि\xa0उनके अनुसार आत्मा\xa0परमात्मा पास चली गयी है, ये आनंद की बात है। उन्होंने बेटे की चिता को आग भी बहू से दिलवाई। जैसे ही श्राद्ध की अवधि\xa0पूरी हुई, बहू के भाई को बुलाकर उसके दूसरा विवाह करने का आदेश दिया। बहू जाना नही चाहती थी, साथ रह उनकी सेवा करना चाहती थी\xa0परन्तु बालगोबिन के आगे उनकी एक ना चली उन्होंने दलील अगर वो नही गयी तो वे घर छोड़कर चले जायेंगे।बालगोबिन भगत की मृत्यु भी उनके अनुरूप ही\xa0हुई। वे हर वर्ष गंगा स्नान को जाते। गंगा तीस कोस दूर पड़ती थी फिर भी वे पैदल\xa0ही जाते। घर से खाकर निकलते तथा वापस आकर खाते थे, बाकी दिन उपवास पर। किन्तु अब उनका शरीर बूढ़ा हो चूका था। इस बार लौटे तो तबीयत\xa0ख़राब हो चुकी थी किन्तु वी नेम-व्रत छोड़ने वाले ना थे, वही पुरानी दिनचर्या शुरू कर दी, लोगों ने मन किया परन्तु वे टस से मस ना हुए। एक दिन अंध्या में गाना गया परन्तु भोर में किसी ने गीत नही सुना, जाकर देखा तो पता चला बालगोबिन भगत नही रहे।
2164.

कोई स्कूल जाता है पद परिचय करें

Answer» Supporting answer
*Koi*Anischayvachak svarnam, avyay, karta karak, ek Vachan, pulling*School*Karm karak, ek vachan, pulling, jaativachak*jata hain*Sakarmak kriya, pulling, ek Vachan
2165.

राहुल स्कूल जाता है इसकी संख्या बताओ

Answer» 1
Unable to understand your question
Dgh
2166.

कोरोना काल में बेरोज़गारी की समस्या पर निभान्द

Answer» Gaurav Seth sir will help you
Hello
2167.

वाच्य के भेद

Answer» वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं –
2168.

Vachy ke bhed

Answer» वाच्य के तीन भेद होते हैं :१ कतृवाच्य जैस : मैं पढ़ता हूँ ।२ कर्मवाच्य जैस : मेरे द्वारा किताब पढ़ी जाती है।३ भाववाच्य जैसे : मुझसे पढ़ा नहीं जाता ।
2169.

Vakye ke bhed

Answer» Vakya ke 3 bhed hSaralSanyuktMishra
2170.

Gopiyo Ne kadvi kakdi ki se aur Kyon Kaha Tha

Answer» Gopiyo ne kadvi kakadi shrikrishan dwara beje yog sandesh ko khaa tha qnki wo sandesh unhe kadvi kakadi k saman lag raha tha.isliye wo chahti thi thi ke ye sandesh unhe hi wapis dedo
2171.

balgobin bhagat ki kis vyavhar ko dekhkar lekhak ashcharyachakit ho gaye

Answer» Jab unke Putra ki mrityu Hui to ve Geet ga rahe the. Unke Geet mein bhi tallinta thi.
2172.

Format of letter writing hindi A class 10

Answer»
2173.

Hindi me ras

Answer» जिस काव्य को पढ़ने में जो आनंद की अनुभूति होती हैं वह रस कहलाता है|
Oki
रस का मतलब है आनंद ।रस 9 प्रकार के होते हैं।i) स्थायी भावii) वीभाव • आलंबन बीभाव • उद्दीपन विभावiii) अनुभाव • सात्विक • कायिक • मानसिक • आहार्यiv) संचारी अथवा व्यभिचारी भाव।सथायी भाव :- मन के अंदर छिपी हुई भावनाएं ।विभाव : भाव उत्पन्न करने का साधन ।
Ras ke 9 mukhya bhed hote hai
Ras kavya ki atma hai
2174.

कबीर की उद्धत साखियो की कबीर की उदित साथियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए

Answer» कबीर का अनुभव क्षेत्र विस्तृत था। कबीर जगह-जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते थे। अत: उनके द्वारा रचित साखियों में अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी और पंजाबी भाषाओं के शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पडता है। इसी कारण उनकी भाषा को ‘पचमेल खिचडी’ कहा जाता है। कबीर की भाषा को सधुक्कडी भी कहा जाता है। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा गया है। भाषा में लयबद्धता, उपदेशात्मकता, प्रवाह, सहजता, सरलता शैली है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – खायै, नेग, मुवा, जाल्या, आँगणि आदि
कबीर का अनुभव क्षेत्र विस्तृत था। कबीर जगह-जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते थे। अत: उनके द्वारा रचित साखियों में अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी और पंजाबी भाषाओं के शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पडता है। इसी कारण उनकी भाषा को ‘पचमेल खिचडी’ कहा जाता है। कबीर की भाषा को सधुक्कडी भी कहा जाता है। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा गया है। भाषा में लयबद्धता, उपदेशात्मकता, प्रवाह, सहजता, सरलता शैली है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – खायै, नेग, मुवा, जाल्या, आँगणि आदि।
2175.

K. Hindi mein kar do

Answer»
2176.

Mein savere uthta hu - pad parichay of uthta

Answer» akarmak kriya, ekvachan, pulling, vartman Kal, krit vachya
2177.

रस के दो दो उदहरण

Answer» रस के अंग-रस के चार अंग माने गए हैं –\tस्थायीभाव:\xa0कविता या नाटक का आनंद लेने से सहृदय के हृदय में भावों का संचार होता है। ये भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान होते हैं। सुषुप्तावस्था में रहने वाले ये भाव साहित्य के आनंद के द्वारा जग जाते हैं और रस में बदल जाते हैं\t\tविभाव:\xa0विभाव का शाब्दिक अर्थ है-भावों को विशेष रूप से जगाने वाला अर्थात् वे कारण, विषय और वस्तुएँ, जो सहृदय के हृदय में सुप्त पड़े भावों को जगा देती हैं और उद्दीप्त करती हैं, उन्हें विभाव कहते हैं।\tअनुभाव:\xa0अनुभाव दो शब्दों ‘अनु’ और भाव के मेल से बना है। ‘अनु’ अर्थात् पीछे या बाद में अर्थात् आश्रय के मन में पनपे भाव और उसकी वाह्य चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।\tजैसे-चुटकुला सुनकर हँस पड़ना, तालियाँ बजाना आदि चेष्टाएँ अनुभाव हैं।\tसंचारीभाव:\xa0आश्रय के चित्त में स्थायी भाव के साथ आते-जाते रहने वाले जो अन्य भाव आते रहते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनका दूसरा नाम अस्थिर मनोविकार भी है।\tचुटकुला सुनने से मन में उत्पन्न खुशी तथा दुर्योधन के मन में उठने वाली दुश्चिंता, शोक, मोह आदि संचारी भाव हैं।\tसंचारी भावों की संख्या 33 मानी जाती है।
2178.

हणिदणर सणहब को ऐसण क्यों िग रहण थण कक नेतण जी कक मूततण पर चश्मण नहीं िगण होगण?

Answer» Hogad lakhh
2179.

गोपियो के वाक्य चातुरिकि की विशेषताएँ लिखिए।

Answer» 1. गोपियां अपने कथन में व्यंग का अधिक प्रयोग करती है 2. जिनके सामने उद्धव टिक नहीं पाते 3. गोपियाँ उद्धरण देने मै बहुत कुशल है 4. गोपियाँ उद्धव को कई बार खरी खोटी सुनाती है जिसके उद्धव की बोलती बंद हो जाती है 5. गोपियाँ तर्कशील है तथा उनके तर्क अकाट्य है
2180.

Lakshman Ne Parshuram se kis Prakar Shama yachna ki aur kyon?

Answer» Aman
Kon
2181.

Shabdik bhram ka tatparya

Answer»
2182.

Which reference is best for hindi

Answer» Read ncert thats enough
Just with pyqs no need to buy any reference,
2183.

Kanyaadan chapter se =kanyaadan shirshk kavita me kiske dukh ko vadi pradan ki gai hai aur kyu

Answer» Thanks
Kyonki uski beti abhi bahari duniya se anjaan hain,agar uska sasural accha na hua to uski nanhi si bitiya ka kya hoga ,use uski chinka kae ja rahi hain
Maa ke
Maata ke
2184.

What is the definition of hindi

Answer» Hindi, or more precisely Modern Standard Hindi, is an Indo-Aryan language spoken chiefly in India. Hindi has been described as a standardised and Sanskritised register of the Hindustani language, which itself is based primarily on the Khariboli dialect of Delhi and neighbouring areas of Northern India.
2185.

मुझे आंसर चाहिए

Answer» Which Chapter ??? Which Question ????
2186.

Goliyaan khud ko kiske samaan maan rhi thi?

Answer» Harril pakshi ki lakdi ke saman.
Gopiyan ne khud ko harril pakshi ki lakdi ke samaan maan rhi thi
2187.

Satpuda k jangal kavita ke prashna aur uttar

Answer» https://mycbseguide.com/blog/sample-paper-for-class-10-hindi-b/
2188.

Gopiyan Swayam Ko Kiske Saman batati hai aur kyon

Answer» गोपियाँ स्वयं को हारिल पक्षी और श्री कृष्ण को हारिल की लकड़ी के समान बताती हैं क्योंकि उनसे दूर नहीं जा सकती हैं और जीवन भर उन्हीके साथ रहना चाहती हैं। इससे सूरदास जी ने गोपियों के श्री कृष्ण के प्रति अनंत प्रेम को अभिव्यक्त किया है
गोपियां खुद को हरिल पक्षी कह रही हैं
Gopiya swayam ko haaril ki ladki ke saman btaya hai
2189.

Need vachya for preparation boards paper

Answer» No i don\'t have
I have
2190.

मोहले की सफाई हेतु नगर निगम को पत्र

Answer» सेवा में ,मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ,नगर निगम ,शिमला।विषय : अपने मोहल्ले की सफाई करवाने हेतु नगर निगम अधिकारी को पत्रश्रीमान जी ,मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान मोहल्ले की साफ सफाई की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ । हमारे इलाके का कचरा कंटेनर कई दिनों तक सफाई न करने के कारण बह निकला है। खराब गंध से निकलने वाली सड़ी हुई सामग्री इस प्रकार आस-पास के लोगों को अपनी नाक के आसपास दुपट्टा पहनने के लिए मजबूर करती है। अगर यही स्थिति कुछ और दिनों तक बनी रही तो बीमारी फैलने की संभावना रहेगी। हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।इसलिए, हमारा विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि आज ही कृपया इसे साफ किया जाए ताकि हम जल्द ही एक सामान्य जीवन जी सकें।धन्यवाद सहित ,भवदीय ,कमलशिमला।
2191.

विद्यार्थी और फ़ैशन पर निबंध

Answer» भूमिका :\xa0शब्दकोश में फैशन का अर्थ होता है ढंग या शैली लेकिन लोकव्यवहार में फैशन का परिधान शैली अथार्त वस्त्र पहनने की कला को कहते हैं। मनुष्य अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए फैशन का प्रयोग करता है। कोई भी व्यक्ति गोरा हो या काला, मोटा हो या पतला, नवयुवक हो या प्रौढ़ सभी का कपड़े पहनने का अपना-अपना ढंग होता है।मनुष्य केवल अपनी आयु, रूप-रंग और शरीर की बनावट को देखकर ही फैशन करता है। यहाँ तक की फैशन के विषय में कोई विशेष विवाद नहीं है। कोई भी अध्यापक हो या विद्यार्थी, लड़का हो या लडकी, पुरुष हो या स्त्री सभी को फैशन करने का अधिकार होता है।फैशन पर विवाद :\xa0जब हम फैशन का गूढ़ अर्थ बनाव सिंगार लेते हैं तो फैशन के विषय में विवाद उठता है। इस गूढ़ अर्थ से दूल्हा और दुल्हन का संबंध हो सकता है लेकिन छात्र और छात्राओं का इससे कोई संबंध नहीं होता है।छात्र और छात्राएं अभी विद्यार्थी हैं और विद्यार्थी का अर्थ होता है विद्या की इच्छा करने वाला। अगर विद्या की इच्छा करने वाले विद्यार्थी फैशन को चाहने लगेंगे तो वे अपने लक्ष्य से बहुत दूर भटक जायेंगे। अगर विद्यार्थी विद्या की जगह पर फैशन को चाहेगा तो विद्या उससे रूठ जाएगी।प्राचीनकाल में विद्यार्थियों में फैशन की भावना :\xa0प्राचीनकाल में विद्यार्थी फैशन को इतना पसंद नहीं करते थे जितने आज के विद्यार्थी करते हैं। प्राचीनकाल में विद्यार्थी सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे उनमे फैशन की अपेक्षा विद्या को चाहने की बहुत तीव्र इच्छा होती थी।आज के विद्यार्थियों में फैशनेबल दिखने की इच्छा तीव्र होती है। आजकल विद्यार्थी जिस तरह के कपड़े दूसरों को पहने हुए देखते हैं वैसे ही कपड़ों की मांग वे अपने माता -पिता से करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आस-पास के लोगों में खुद को धनी दिखा सकें लेकिन वास्तव में वे धनी नहीं होते हैं।धनी के साथ-साथ आज का विद्यार्थी खुद को दूसरों से सुंदर दिखाना चाहता है जो वो होता नहीं है। इस तरह वे फैशन में इतना समय व्यर्थ में गंवा देते हैं लेकिन बहुत से महत्वपूर्ण कामों के लिए उसके पास समय ही नहीं होता है। ऐसी अवस्था में कौन उन्हें यह बात समझाएगा कि वे धन के अपव्यय के साथ-साथ समय की भी बरबादी करते हैं।सौन्दर्य के लिए धन की आवश्यकता :\xa0जब विद्यार्थी सुंदर दिखने की भावना को प्रबल कर लेते हैं तो उन में धन विलासिता भी बढ़ जाती है। फैशन के जीवन को जीने के लिए धन की आवश्यकता होती है। जब विद्यार्थी को फैशन का जीवन जीने के लिए धन आसानी से नहीं मिलता है तो वह झूठ का सहारा लेकर धन को प्राप्त करने की कोशिश करता है।वह धन को पाने के लिए चोरी तक करने लगता है। ऐसा करने के बाद जुआ जैसे बुरे काम भी उनसे दूर नहीं रह पाते हैं। इस तरह से विद्यार्थी की मौलिकता खत्म हो जाती है और वह आधुनिक वातावरण में जीने लगता है। ऐसा करने से घर के लोगों से उसका संबंध टूट जाता है और सिनेमा के अभिनेता उसके आदर्श बन जाते हैं।वे विद्यालय की जगह पर फिल्मों में अधिक रूचि लेने लगते हैं और अपने मार्ग से भटक जाते हैं। जो विद्यार्थी फैशन के पीछे भागते हैं वे अपने जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। आगे चलकर उन्हें पछताना ही पड़ता है।सिनेमा का कुप्रभाव :\xa0आज के समय में हमारे जीवन में सिनेमा एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। ज्यादातर छात्र-छात्राएं फिल्मों से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अमीर परिवार तो फैशनेबल कपड़े पहन सकते हैं और अपने बच्चों को भी फैशनेबल कपड़े पहना सकते हैं लेकिन गरीब लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं। विद्यार्थियों में देखा-देखी फैशन की होड़ बढती ही जा रही है। टीवी की संस्कृति ने हमारे देश के लोगों के लिए समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं। यह फैशनपरस्ती फिल्मों की ही देन है।फैशन के दुष्परिणाम :\xa0आज के विद्यार्थियों में फैशन की प्रवृत्ति के बढने से केवल माता-पिता ही नहीं बल्कि पूरे समाज मे घातक सिद्ध हो रही है। गरीब परिवार के लोग अपने बच्चों की मांगों की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। इसकी वजह से उनके घर के बच्चे घर में असहज वातावरण उत्पन्न कर देते हैं।जो विद्यार्थी फैशन के पीछे भागते हैं वो सिनेमा घरों में जाकर अशोभनीय व्यवहार करते हैं, गली मोहल्लों में हल्ला मचाते हैं और हिंसक गतिविधियों में भाग लेते हैं। जो विद्यार्थी फैशनपरस्ती होते हैं वे जीवन के विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं | जो विद्यार्थी फैशनपरस्ती के पीछे भागते हैं वो अपनी शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे विद्यार्थी अपने माता-पिता के सपनों को तोड़ देते हैं।उपसंहार :\xa0हम यह कह सकते हैं कि फैशन विद्यार्थियों के लिए अच्छा नहीं होता है। विद्यार्थियों का आदर्श हमेशा सादा जीवन उच्च विचार होना चाहिए। फैशन के मामलों में विद्यार्थी को अपना जीवन कभी भी खर्च नहीं करना चाहिए।विद्यार्थी का लक्ष्य बस अपने जीवन का निर्माण होना चाहिए। जो विद्यार्थी अपनी शिक्षा पर ध्यान देते हैं वे ही अपने जीवन में सफल होते हैं। बस फैशन के पीछे भागने वाले बाद में पछताते हैं।
G
2192.

Saransh of ram Lakshman aur pashuram

Answer» शिवधनुष टूटने के साथ सीता स्वयंवर की खबर मिलने पर परशुराम जनकपुरी में स्वयंवर स्थान पर आ जाते है। हाथ में फरसा लिए क्राेिधत हो धनुष तोड़ने वाले को सामने आने, सहस्त्रबाहु की तरह दडिंत होने और न आने पर वहाँ उपस्थित सभी राजाओं को मारे जाने की धमकी देते हैं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए राम आगे बढ़कर कहते हैं कि धनुष-भंग करने का बड़ा काम उनका कोई दास ही कर सकता है। परशुराम इस पर और क्रोधित होते हैं कि दास होकर भी उसने शिवधनुष को क्यों तोड़ा। यह तो दास के उपयुक्त काम नहीं है। लक्ष्मण परशुराम को यह कहकर और क्रोधित कर देते हैं कि बचपन में शिवधनुष जैसे छोटे कितने ही धनुषों को उन्होंने तोड़ा, तब वे मना करने क्यो नहीं आए आरै अब जब पुराना आरै कमजाोर धनुष् श्रीराम के हाथों में आते ही टूट गया तो क्यों क्रोधित हो रहे हैं। परशुराम जब अपनी ताकत से ध्रती को कई बार क्षत्रियों से हीन करके बा्र ह्मणों को दान देने और गर्भस्थ शिशुओं तक के नाश करने की बात बताते हैं तो लक्ष्मण उन पर शूरवीरों से पाला न पड़े जाने का व्यंग्य करते हैं। वे अपने कुल की परंपरा में स्त्राी, गाय और ब्राह्मण पर वार न करके अपकीर्ति से बचने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ स्वयं को पहाड़ और परशुराम को एक फूँक सिद्ध् करते हैं। ऋषि विश्वामित्रा परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए लक्ष्मण को बालक समझकर माफ करने का आगह्र करते है। वे समझाते है। कि राम आरै लक्ष्मण की शक्ति का परशुराम को अंदाजा नहीं है। अंत में लक्ष्मण के द्वारा कही गई गुरुऋण उतारने की बात सुनकर वे अत्यंत क्रुद्ध् होकर फरसा सँभाल लेते हैं। तब सारी सभा में हाहाकार मच जाता है आरै तब श्रीराम अपनी मधुर वाणी से परशुराम की क्रोध रूपी अग्नि को शांत करने का प्रयास करते हैं।
2193.

पद परिचय कया होता हैं?

Answer» जब शब्द वाक्य में प्रयोग होता है तो उसे पद कहते हैं। पद का व्याकरण की दृष्टि से परिचय देने को पद परिचय कहते हैं
Kisi bhi pad ka vyakranik prichya pad prichya kehlata h.
वाक्य में प्रयोग हुआ कोई पद व्याकरण की दृष्टि से विकारी है या अविकारी, यदि बिकारी है तो उसका भेद, उपभेद, लिंग, वचन पुरुष, कारक, काल अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध और अविकारी है तो किस तरह का अव्यय है तथा उसका अन्य शब्दों से क या संबंध है आदि बताना व्याकरणिक परिचय कहलाता है।पदों का परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है –\tसंज्ञा–तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक क्रिया के साथ संबंध।\tसर्वनाम-सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।\tविशेषण-विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उसका विशेष्य।\tक्रिया-क्रिया के भेद, लिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य,धातु कर्म और कर्ता का उल्लेख।\tक्रियाविशेषण-क्रियाविशेषण का भेद तथा जिसकी विशेषता बताई जा रही है, का उल्लेख।\tसमुच्चयबोधक-भेद, जिन शब्दों या पदों को मिला रहा है, का उल्लेख।\tसंबंधबोधक-भेद, जिसके साथ संबंध बताया जा रहा है, का उल्लेख।\tविस्मयादिबोधक-हर्ष, भाव, शोक, घृणा, विस्मय आदि किसी एक भाव का निर्देश।
2194.

‘प्रत्येक सुंदर प्रभात \'से क्या तात्पर्य है ॽ

Answer»
2195.

Vrikshropan par nibandh

Answer» वृक्षारोपण का शाब्दिक अर्थ है। वृक्ष लगाकर उन्हें उगाना इसका प्रयोजन करना है। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना। मानव के जीवन को सुखी, सम्रद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का अपना विशेष महत्व है। मानव सभ्यता का उदय तथा इसका आरंभिक आश्रय भी प्रकृति अर्थात वन व्रक्ष ही रहे हैं। मानव को प्रारम्भ से प्रकृति द्वारा जो कुछ प्राप्त होता रहा है। उसे निरन्तर प्राप्त करते रहने के लिए वृक्षारोपण अती आवश्यक है।मानव सभ्यता के उदय के आरंभिक समय में वह वनों में वृक्षों पर या उनसे ढकी कन्दराओं में ही रहा करता था। वह (मानव) वृक्षों से प्राप्त फल-फूल आदि खाकर या उसकी डालियों को हथियार के रूप में प्रयोग करके पशुओं को मारकर अपना पेट भरा करता था। वृक्षों की छाल की वस्त्रों के रूप में प्रयोग करता था। यहाँ तक कि ग्रन्थ आदि लिखने के लिए जिस सामग्री का प्रयोग किया जाता था। वे भोज–पत्र अर्थात विशेष वृक्षों के पत्ते ही थे। वृक्ष वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ बनाते है। इनकी जड़ें भूमि के कटाव को रोकती है। वृक्षों के पत्ते भूमि पर गिरकर सड़ जाते हैं। तथा ये मिट्टी में मिलकर खाद बन जाते है। और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है।मानव सभ्यता के विकास के साथ जब मानव ने गुफाओं से बाहर निकलकर झोपड़ियों का निर्माण आरंभ किया तो उसमें भी वृक्षों की शाखाएं व पत्ते ही काम आने लगे, आज भी जब कुर्सी, मेज, सोफा, सेट, रेक, आदि का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। यह भी मुख्यतः लकड़ी से ही बनाए जाते हैं। अनेक प्रकार के फल-फूल और औषधियों भी वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वर्षा जिससे हमें जल व पेय जल प्राप्त होते हैं वह भी प्राय वृक्षों के अधिक होने पर ही निर्भर करती है। इसके विपरीत यदि हम वृक्ष-शून्य की स्थिति की कल्पना करें तो उस स्थिति में मानव तो क्या समुची जीव सृष्टि की दशा ही बिगड़ जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए वृक्षारोपण करना अत्यंत आवश्यक है।आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उद्योग–धंधों की बाढ़ से आती जा रही है। इनसे धुआं, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायुमंडल में फेल कर हमारे पर्यावरण में भर जाती है। पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायुमंडल में फैलने से रोक कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह धरती प्रदूषण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए।
2196.

GEORGE PANCHAM KI NAAK SARANSH(SUMMARY)

Answer»
2197.

Karam vachya kya hote hai

Answer»
2198.

Karam vachya

Answer» Jis vakya mein karma Pradhan hota hei use karma vachya kahte hei
2199.

सूरदास के पद में गोपियों ने खुद को अबला व भोली क्यों कहा है?

Answer» Thanks a lot
गोपियों में छल कपट तथा चतुराई नहीं है। बिना सोचे- समझे वे श्रीकृष्ण से प्रेम कर बैठी है, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें विरह वेदना सहन करनी पड़ रही है। उद्धव के समान ज्ञानी भी नहीं है ,इसलिए उन्होंने स्वयं को अबला और भोली बताया है।
2200.

हिंदी के पाठयपुस्तक क्षितिज के सूरदास के पद में कौन कौन से अलंकार का प्रयोग हुआ है?

Answer»