InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 3701. |
How can we determine given sentence is - bhav vachya, karm vachya, or kart vachya.? |
| Answer» (से/के द्वारा) कर्म, भाव वाच्य ने -कृर्तवाच्य | |
| 3702. |
Friends if you want help for your preparation please ask me |
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Answer» Why u want to know my name any kind of work with me Pehle tell your name Oh |
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| 3703. |
Shanti ras easy example... |
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Answer» जिनको यह जग घर लगे वह ठहरा नादान | समझे इसे सराय जो वह है चतुर सुजान|| Haad jre js lakdi Kes jre js ghaas Sone jaisi kaya jl gyiKoi n aaye paas जब मैं था तब हरि नाहिं अब हरि हैं मैं नाहिं, सब अंधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहि। Rasshi kacha dagha ki kich rhi ma nav jana kab sona meri pukar ker da bhav sagar par मेरो मैब अनत कहाँ सुख पावै जैसे उड़ी जहाज को पंछी फेर जहाज पे आवै |
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| 3704. |
What is the example of bhakti ras |
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Answer» दूब दुबाए झुण्ड में, लंबोदर गजमुंड| बुद्धि विनायक हे प्रभु, हरो विघ्न के झुंड || उलट नाम जपत जग जाना...... वाल्मीकि भए ब्रह्म समाना...... Ram japu , ram japu , ram japu baavre...Ghor bhaav neer nidhi naam nij naav re मेरे तो गिरिधर गोपाल दूजो न कोई जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोइ।।रघुपति राघव राजा राम......... |
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| 3705. |
Ram laxman pashuram sanvad mein ras |
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Answer» Veer and Raudra Ras Raudra and veer ras........ |
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| 3706. |
हालदार सहाब को कस्बे के नागरिको का कौन सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों |
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Answer» नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाना 1 सराहनीय प्रयास था क्योंकि नेताजी की मूर्ति पर चस्मा नही था और ये बात हर उस देशभक्त को ठेस पहुंचाती , इस वजह से मूर्ति पर चस्मा लगाना लोगो में देशभक्ति की भावना जगता हैं Netaji subhash chandra bose ke murti par chashma lagaane ka prayaas |
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| 3707. |
Aajkal desh pragti ke marg pr chal raha haiAajkal ka pad parichay |
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Answer» रीतिवाचक क्रियाविशेषण - कलवाचक विशेषण |
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| 3708. |
Vatsalya ras ka easy example |
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Answer» Sobhit kr navneet liyeGhuturuni chlt renu tnn manditMukkh dadhi lep kiyeSobhit kr navneet liye Kilkat kaanh ghutruwan aawat , manimay kanak nand ke aangan bimb pakrive ghaavat |
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| 3709. |
Vigayapan me khuch free bhi apne pass se likh sakte h |
| Answer» Yesss | |
| 3710. |
Maali aawat dekhi ke , kaliyanum kari pukar. Fulli fulli chun lai, kalhi hamari vaar. Me ras konsa h |
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Answer» Veer ras Adabhut ras |
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| 3711. |
Plzz suggest me some important vigyapan lekhan ?? |
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Answer» Ylll mko aate ni h vigyapan plzz show me any exmple Pencil, kiraye pr ghar, books sale, etc |
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| 3712. |
साहसी सफल होते हैं। mishr vakya mai badaliye |
| Answer» Ve safal hote hain jo sahasi hote hain...book mai ye likha hai .....mai bhi confuse hu | |
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How to write Hindi dhanyavaad patra |
| Answer» | |
| 3714. |
Can anybody give me a short summary of noobatkhane me ebadat |
| Answer» सारअम्मीरुद्दीन उर्फ़ बिस्मिल्लाह खाँ\xa0का जन्म बिहार में डुमराँव के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ। इनके बड़े भाई का नाम शम्सुद्दीन था जो उम्र में उनसे तीन वर्ष बड़े थे। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव के निवासी थे। इनके पिता का नाम पैग़म्बरबख़्श खाँ तथा माँ मिट्ठन थीं। पांच-छह वर्ष होने पर वे डुमराँव छोड़कर अपने ननिहाल काशी आ गए। वहां उनके मामा सादिक हुसैन और अलीबक्श तथा नाना रहते थे जो की जाने माने शहनाईवादक थे। वे लोग बाला\xa0जी के मंदिर की ड्योढ़ी पर शहनाई बजाकर अपनी दिनचर्या का आरम्भ करते थे।\xa0वे विभिन्न रियासतों के दरबार में बजाने का काम करते थे।ननिहाल में 14 साल की उम्र से ही बिस्मिल्लाह\xa0खाँ ने\xa0बाला जी के मंदिर में रियाज़ करना शुरू कर दिया। उन्होंने वहां जाने का ऐसा रास्ता चुना जहाँ उन्हें रसूलन और बतूलन\xa0बाई की गीत सुनाई देती जिससे उन्हें ख़ुशी मिलती। अपने साक्षात्कारों में भी इन्होनें\xa0स्वीकार किया की बचपन में इनलोगों ने इनका संगीत के प्रति प्रेम पैदा करने में भूमिका निभायी। भले ही वैदिक इतिहास में शहनाई का जिक्र ना मिलता हो परन्तु मंगल कार्यों में इसका उपयोग प्रतिष्ठित करता है अर्थात यह मंगल ध्वनि का सम्पूरक है। बिस्मिल्लाह\xa0खाँ ने अस्सी वर्ष के हो जाने के वाबजूद हमेशा पाँचो वक्त वाली नमाज में शहनाई के सच्चे सुर को पाने की प्रार्थना में बिताया। मुहर्रम के दसों दिन बिस्मिल्लाह खाँ अपने पूरे\xa0खानदान के साथ ना तो शहनाई बजाते थे और ना ही किसी कार्यक्रम में भाग लेते। आठवीं तारीख को वे शहनाई बजाते और दालमंडी से फातमान की आठ किलोमीटर की दुरी तक भींगी आँखों से नोहा बजाकर\xa0निकलते हुए सबकी आँखों को भिंगो देते।फुरसत के समय वे उस्ताद और अब्बाजान को काम\xa0याद कर अपनी पसंद की सुलोचना गीताबाली जैसी अभिनेत्रियों की देखी फिल्मों को याद करते थे। वे अपनी बचपन की घटनाओं को याद करते की कैसे वे छुपकर नाना को शहनाई बजाते हुए सुनाता तथा बाद में उनकी\xa0\'मीठी शहनाई\' को ढूंढने के लिए एक-एक कर शहनाई को फेंकते और कभी मामा की शहनाई पर\xa0पत्थर पटककर दाद देते। बचपन के समय वे फिल्मों के बड़े शौक़ीन थे, उस समय थर्ड क्लास का टिकट छः पैसे का मिलता था जिसे पूरा करने के लिए वो दो पैसे मामा से, दो पैसे मौसी से और दो पैसे नाना से लेते थे फिर बाद में घंटों लाइन में लगकर टिकट खरीदते थे। बाद में वे अपनी पसंदीदा अभिनेत्री\xa0सुलोचना की फिल्मों को देखने के लिए वे बालाजी मंदिर पर शहनाई बजाकर कमाई करते। वे सुलोचना की कोई फिल्म ना छोड़ते तथा कुलसुम की देसी घी वाली दूकान पर कचौड़ी खाना ना भूलते।काशी के संगीत आयोजन में वे अवश्य भाग लेते। यह आयोजन कई वर्षों से संकटमोचन मंदिर में हनुमान जयंती के अवसर हो रहा था जिसमे शास्त्रीय और उपशास्त्रीय गायन-वादन की सभा होती है। बिस्मिल्लाह\xa0खाँ जब काशी के बाहर भी रहते तब भी वो विश्वनाथ और बालाजी मंदिर\xa0की तरफ मुँह करके बैठते और अपनी शहनाई भी उस तरफ घुमा दिया करते। गंगा, काशी\xa0और शहनाई उनका जीवन थे। काशी का स्थान सदा से ही विशिष्ट रहा है, यह संस्कृति की पाठशाला है। बिस्मिल्लाह\xa0खाँ के शहनाई\xa0के\xa0धुनों की दुनिया दीवानी हो जाती\xa0थी।सन 2000 के बाद पक्का महाल\xa0से मलाई-बर्फ वालों के जाने से, देसी घी तथा कचौड़ी-जलेबी में पहले जैसा स्वाद ना होने के कारण\xa0उन्हें इनकी कमी खलती। वे नए गायकों और वादकों में घटती आस्था और रियाज़ों का महत्व\xa0के प्रति चिंतित थे। बिस्मिल्लाह\xa0खाँ हमेशा से दो कौमों की एकता और भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देते रहे। नब्बे वर्ष की उम्र में 21 अगस्त 2006 को उन्हने दुनिया से विदा ली ।\xa0वे भारतरत्न, अनेकों विश्वविद्यालय की मानद उपाधियाँ व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा पद्मविभूषण जैसे पुरस्कारों\xa0से जाने\xa0नहीं जाएँगे\xa0बल्कि अपने अजेय संगीतयात्रा के नायक के रूप में पहचाने\xa0जाएँगे। | |
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Sita ka raam |
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Answer» Rao bhiari ???????? |
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बच्चो को हर पाठ के अनुसार क्या एक्टिविटी कराई जाए |
| Answer» ? | |
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***श का उपयुक्त शीर्षक डिजिये |
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Answer» Kon sa gadhyansh??? bhai गद्यश है कहाँ |
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need an example of विज्ञापन |
| Answer» Natraj pencil | |
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Hindi me konsa chapter delete hua hai |
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Answer» Bai 1.Dev2.jai sankar prasad3.mahabir prasad4.Bhadant Anand They are the poets of deleted chapter 3,4,15,& 17 |
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Ham kya kar rahe hain ka pad parichay |
| Answer» Hum - sarvanam, puling,bahuvachan,karta karakKar rhe h - akarmak kriya, pulling,ekwachan,vartaman kal, | |
| 3721. |
Kya Hindi me prativedna vhi aata hai ??????? |
| Answer» | |
| 3722. |
Vah aya . usne kuch nahi kaha ( isko Mishra Vakya me Badle) |
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Answer» Upar wala wrong hai wo sanyukt hJab vah aya tb usne kuch nhi kaha वह आया परंतु उसने कुछ नहीं कहा.. |
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Impotant nivand class 10 Cbse board |
| Answer» | |
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पानवाले क् एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिये। |
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Answer» Paanvala ek mota kaala moti tond vala khusmijaj aadmi tha. Adhik paan khane ki vjh se uske kucch daat kaale aur kucch laal ho gye the. Aur jb vh hasta to uski laal kaali batisi njr aati thi v moti tond thirkti thi. वह आपने नाम के अनुरूप हमेसा मुँह में पान ठुसे रहता था । वह एक मोटा सा , काला सा वक्ति था। स्वभाव से हसमुख था वाकपटू था , व्यंग्यात्मक शैली थी लाल काली बत्तीसी थी ।।।।। Paanwala ek kaala mota khusmizaz vyakti tha. Kaala,mota,hasmukh,dhoti pehenewala aur 1 taraf grahako k liye paan banata aur doosri tarf uske muh bhi paan se thoosha rehta tha aur paan khane ki wajah se uske daat kahi kahi laal aur kaale pad gye the. |
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| 3725. |
How to indentify voice in hindi |
| Answer» | |
| 3726. |
SangyaupVakya ,visheshanupVakya, KriyavisheshanupVakya hotai kya hai............. |
| Answer» Ye sab sentence pe depends hote hai or sentence se pata chalta hai ki wo sangya hai ki sarwanam hai.,.......,..........,..........? | |
| 3727. |
Koi formal patra ka format do confirm |
| Answer» Google kar lo pls | |
| 3728. |
Me astvest ta elite parisha bhai Dek saka Sarah vakiya |
| Answer» ?????? | |
| 3729. |
Mysterious tha isliye bhajan Anushka Sharma Ke main St Aastha isliye Pareshan Odisha ka Saral Vakya |
| Answer» | |
| 3730. |
anyone explain chapter. उत्साह in hindi in sort |
| Answer» | |
| 3731. |
भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? |
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Answer» Apne sathiyo k saath khelna use bhut achha lgta tha .Isliye jb vh apne sathiyo ko dekhta t b vh siskna bhul jata Pal me rona pal me hasana bachho ka swabhav hota hai jaise hi bholanath apne sathiyo ko dekhata hai siskana bhul kar apne dosto sath khelane chal deta hai. bholanath apne saarhiyo ko dekh kr shisakna isliye bhul jata he ktoki humare yha arthak prakarti me koi bhi manusya shwabhavik rup se apni ayu taka prakti ke logo ke saath adhik juda rehta he khas kr bache jesa bholanath ne apne mitro ko dekha wo apne samst suk duk bhul gya or shisakna chod ke apne dosto ke saath khelne chla gya |
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| 3732. |
Yeh whi bharat hai jo Sone Ki Chidiya Kehlata tha (sanyukt Vakya me badaliye) |
| Answer» Yeh bharat hai aur yeh sone ki chidiya kehlata thaa! | |
| 3733. |
बालगोबिन भगत पाठ मनुष्यता, लोक संसकृति तथा सामूहिक चेतना का प्रतीक है। पाठ के आधार पर सिदध कीजिये। |
| Answer» Yeh baat bilkul thik h kyunki jb baalgovind bhagat ke putra ki mratyu ho gyi thi tab baal govind bhagat ne apni putra vadhu se rone ki bajaye utsav manane ko kaha aur unhone apne putra ki chita ko bhi apni putra vadhu se hi aag dilayi thi jabki samsaan me aurtoon ko ane ki anumati nahi thi isse siddh hota h ki balgovind bhagat lok sanskriti aur samuhik chetna se mili jhuli sanskriti ke pratik h. | |
| 3734. |
विभत्\u200dस रस के उदाहरण |
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Answer» गिद्ध और चिल रहा रही थी और कौवे को तड़पा रही थी घर में लाशें बाहर लाशें , जनपद पर Sadathi है लाशें दुर्गंध ghot ti है यह सांसे |इंसान हुआ लाशें ही लाशें || सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारत |
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| 3735. |
Inportant question bta do koi |
| Answer» | |
| 3736. |
वियोग श्रृंगार का सरल उदाहरण। ?????? |
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Answer» प्रिय वियोग का यह सूनापन, स्मृतियों से भर भर जाता मन पूर्ण समर्पण सा पागलपन || Thanks ☺️ Nis din barsat naen hamare ,Sada reht pavas ritu hum pe Jabte syaam sidhaare . |
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Ek kahani yeh bhi ka lekhak kon h? |
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Answer» Mannu Bhandari Mannu Bhandari मन्नू भंडारी |
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| 3738. |
Grramar mai kya,kya aane ke sbse zyada chances hai can anyone suggest some...points |
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Answer» रस , पद परिचय , वाच्य , रचना के आधार पर वाक्य भेद , निबंध ,पत्र , विज्ञापन ।।।।। रस , पद Letter, viyapan, niband, Alankar, ras, pad parichye |
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| 3739. |
Anyone want hindi A grammer notes can give me their WhatsApp no. I\'ll send |
| Answer» I want please give me | |
| 3740. |
Chaya mat choona kavi ne aisa kyo kaha |
| Answer» | |
| 3741. |
Bismillah Khan kaun hai |
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Answer» Wo ek shahnai wadak the jinke baare me class 10 ki chittij book me bataya gya hai...Born 21 March 1916 Died 21 August 2006◇Un ki shahnai bajane ki kala bahut anokhi thi.unhone ye apne dada aur mama se seekha tha. Jo mathure ke mandiro me bhi shehnai wad karte the...◇Wo bahut saadgi se rhte the yaha tk ki itne bade sahnaiwaadak jinhe bharat ratna se sammanit kia gya wo fate kapde(lungi) pahna krte the. शहनाई वादक |
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| 3742. |
Formation of both letters with complete |
| Answer» | |
| 3743. |
Format of पत्र for both अनौपचारिक and औपचारिक। |
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Answer» I think that it will help you Priksha bhawanK kh gHisarDinakSampadak mahadyaDainik jagranHisarVishayMahodya,------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------Bhavdiy/prarthi Priksha bhawanK kh g vidyalyaHisarDinakPradhanachrya mahodyaK kh g vidyalyaHisarVishayMhodya,---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------DhanyavaadAapka agyakatishishayA b c पत्र लेखन नमूनाअनौपचारिक पत्र - पत्र लेखन नमूनापत्र लेखन प्रारूप (फॉरमैट) पर ध्यान देना आवश्यक है जो आपके पत्र लेखन को बिल्कुल आसान बना देता है ! एक पुत्र अपने पिता जी को कैसे पत्र लिखता है, उदाहरण से समझाता हूं ! पत्र के तीन भागों को अलग-अलग रंगों से रेखांकित किया गया है, इस पर ध्यान दें ताकि दूसरा अनौपचारिक पत्र आप आसानी से लिख सकें !अनौपचारिक पत्र लेखन में\tशीर्ष भाग\xa0में पता, दिनांक, संबोधन और प्रशस्ति आते हैं !\tमध्य भाग\xa0में संदेश व कथा का विवरण होता है!\xa0\tअंतिम भाग\xa0आभार सूचक वाक्य जैसे आप का, प्रणाम, धन्यवाद आदि का प्रयोग किया जाता है !पिताजी को पत्र - अनौपचारिक पत्र Formatस्थान का नाम ………तिथि …………पूजनीय पिता जी,सादर प्रणामकल ही संध्याकालीन भारतीय डाक से आपका पत्र मिला ! आप सभी का कुशल-क्षेम जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई ! यहां पर गौरव एवं मीनाक्षी ठीक हैं !आपने अपने पत्र में परीक्षा की तैयारी के विषय में पूछा था ! आपको बता दूं कि हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है जो भी बचा है मैं समय रहते पूरा कर लूंगा ! हमें कुछ और पुस्तक खरीदने की आवश्यकता है जो हमारी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए उत्तम सिद्ध हो सकता है !मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि ₹10,000 हमें भेज दें ! मैं उससे पुस्तक खरीद लूंगा !शेष सब कुशल है ! माता-जी, बुआ आदि को मैं और मेरे मित्र उनको प्रणाम कहते हैं !आपका सदैव आज्ञाकारी पुत्रनाम………औपचारिक पत्र - पत्र लेखन नमूनाऔपचारिक पत्र लेखन में आवेदन / प्रार्थना पत्र, नौकरी के लिए आवेदन पत्र, सरकारी / अर्ध सरकारी संस्थाओं के लिए आवेदन पत्र और संपादक के नाम आवेदन पत्र शामिल है ! इन सभी प्रकार के पत्र को कैसे लिखा जाए आपको उदाहरण देकर समझाता हूं !पत्र लेखन प्रारूप\xa0पर ध्यान देना आवश्यक है जो आपके पत्र लेखन को आसान बना देता है !\xa0औपचारिक पत्र लेखन में\tशीर्ष भाग\xa0में पत्र-प्रेक्षक का पता बायीं ओर लिखा जाता है तथा पत्र-प्रेषक अपना नाम के नीचे स्वनिर्देशि के बाद लिखते हैं !\tमध्य भाग\xa0में संदेश का विवरण होता है !\tअंतिम भाग\xa0आभार सूचक वाक्य जैसे धन्यवाद आदि का प्रयोग किया जाता है !\xa0पोस्ट मास्टर के नाम औपचारिक पत्र\xa0परीक्षा भवननई दिल्लीदिनांक - 20 जनवरी 2019डाकपाल महोदयसंसद मार्गनई दिल्लीप्रिय महोदय,विषय - रजिस्ट्री पत्र प्राप्त ना होने की शिकायतडाकपाल महोदय का निवेदन के साथ ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि, मैंने 20 दिसंबर 2018 को अपने पिता के नाम एक पत्र रजिस्ट्री के द्वारा भेजा था ! किंतु उसे एक महीने के बाद भी प्राप्त नहीं हो पाया है !मैंने अपने गांव स्थित डाकघर से भी संपर्क स्थापित करने का प्रयत्न किया था ! वहां के डाक मास्टर ने बताया कि इस तरह का हमें कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है ! रजिस्ट्री पत्र का रसीद नंबर 234 है जो 20 दिसंबर 2018 को भेजा गया था ! रशीद का फोटो स्टेट कॉपी पत्र के साथ संलग्न है !आपसे प्रार्थना है कि इस संबंध में आवश्यक जांच पड़ताल कर के मुझे मामले की वास्तविक स्थिति से अवगत किया जाए !धन्यवादभवदीयकुलदीप कुमार झा Priksha bhawanK.kh.gHisarDinakPujya pita jiSadar pranam------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------Aapka putra -------------------- |
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| 3744. |
Ram lakshman parshuram sambad ma"Sahsatrbahu" kisa kha gya ha ? ??? |
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Answer» Thanku n Sahastrbahu ka sabdik arth kya hota ha??? Parshuram ji ka shatru tha sahstrabahu jiska vad parshuram ji ne kiya tha ......... ......... Aur jisne bhi Dhanush toda wo parshuram ji ke shatru (sahstrabahu) ke samaan h Parshuram ko Jisne shiv kA dhanus toda hoga o meta sahstrabahu k saman satru hoga ,,,,,,, means jisne dhanus toda hoga use sahstrabahu ki upma d gai hai |
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| 3745. |
Kanyadaan kya he |
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Answer» कन्यादानकितना प्रामाणिक था उसका दुखलड़की को दान में देते वक्तजैसे वही उसकी अंतिम पूँजी होइस कविता में उस दृश्य का वर्णन है जब एक माँ अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है। बेटियाँ ब्याह के बाद पराई हो जाती हैं। जिस बेटी को कोई भी माता पिता बड़े जतन से पाल पोसकर बड़ी करते हैं, वह शादी के बाद दूसरे घर की सदस्य हो जाती है। इसके बाद बेटी अपने माँ बाप के लिए एक मेहमान बन जाती है। इसलिए लड़की के लिए कन्यादान शब्द का प्रयोग किया जाता है। जाहिर है कि जिस संतान को किसी माँ ने इतने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे किसी अन्य को सौंपने में गहरी पीड़ा होती है। बच्चे को पालने में माँ को कहीं अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है, इसलिए उसे दान करते वक्त लगता है कि वह अपनी आखिरी जमा पूँजी किसी और को सौंप रही हो। लड़की अभी सयानी नहीं थीअभी इतनी भोली सरल थीकि उसे सुख का आभास तो होता थालेकिन दुख बाँचना नहीं आता थापाठिका थी वह धुँधले प्रकाश कीकुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों कीलड़की अभी सयानी नहीं हुई थी; इसका मतलब है कि हालाँकि वह बड़ी हो गई थी लेकिन उसमें अभी भी दुनियादारी की पूरी समझ नहीं थी। वह इतनी भोली थी कि खुशियाँ मनाने तो उसे आता था लेकिन यह नहीं पता था कि दुख का सामना कैसे किया जाए। उसके लिए बाहरी दुनिया किसी धुँधले तसवीर की तरह थी या फिर किसी गीत के टुकड़े की तरह थी। ऐसा अक्सर होता है कि जब तक कोई अपने माता पिता के घर को छोड़कर कहीं और नहीं रहना शुरु कर देता है तब तक उसका समुचित विकास नहीं हो पाता है। माँ ने कहा पानी में झाँककरअपने चेहरे पर मत रीझनाआग रोटियाँ सेंकने के लिए हैजलने के लिए नहींवस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरहबंधन हैं स्त्री जीवन केमाँ ने कहा लड़की होनापर लड़की जैसी दिखाई मत देना। जाते-जाते माँ अपनी बेटी को कई नसीहतें दे रही है। माँ कहती हैं कि कभी भी अपनी सुंदरता पर इतराना नहीं चाहिए क्योंकि असली सुंदरता तो मन की सुंदरता होती है। वह कहती हैं कि आग का काम तो चूल्हा जलाकर घरों को जोड़ने का है ना कि अपने आप को और अन्य लोगों को दुख में जलाने का। माँ कहती है कि अच्छे वस्त्र और महँगे आभूषण बंधन की तरह होते हैं इसलिए उनके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। आखिर में माँ कहती है कि लड़की जैसी दिखाई मत देना। इसके कई मतलब हो सकते हैं। एक मतलब हो सकता है कि माँ उसे अब एक जिम्मेदार औरत की भूमिका में देखना चाहती है और चाहती है कि वह अपना लड़कपन छोड़ दे। दूसरा मतलब हो सकता है कि उसे हर संभव यह कोशिश करनी होगी कि लोगों की बुरी नजर से बचे। हमारे समाज में लड़कियों की कमजोर स्थिति के कारण उनपर यौन अत्याचार का खतरा हमेशा बना रहता है। ऐसे में कई माँएं अपनी लड़कियों को ये नसीहत देती हैं कि वे अपने यौवन को जितना हो सके दूसरों से छुपाकर रखें।\xa0भावार्थइस कविता में कवि ने माँ के उस पीड़ा को व्यक्त किया है जब वह अपने बेटी को विदा करती है। उस समय मान को लगता है जैसे उसने अपने जीवन भर की पूंजी गँवा दी। माँ के हृदय में आशंका बनी रहती\xa0है कि कहीं ससुराल में उसे कष्ट तो नही\xa0होगा,\xa0अभी वो भोली है।\xa0विवाह के बाद वह केवल सुखी जीवन की कल्पना कर सकती है किन्तु जिसने कभी दुःख देखा नही वह भला दुःख का सामना कैसे करेगी। कवि कहते हैं कि सुख सौभाग्य को वह अबोध बेटी पढ़ सकती है परन्तु अनचाहे दुखों को वह पढ़ और समझ नही सकती।माँ अपनी बेटी को सीख\xa0देते हुए कहतीं हैं कि प्रतिबिम्ब\xa0देखकर अपने रूप-सौंदर्य पर मत रीझना। यह स्थायी नही है। माँ दूसरी सीख\xa0देते हुए कहती हैं कि आग का उपयोग खाना बनाने के लिए होता इसका उपयोग जलने जलाने के लिए मत करना। यह सीख उन मानसिकता वाले लोगों पर कटाक्ष है जो दहेज़ के लालच में अपनी दुल्हन को जला देते हैं। तीसरी सीख देते हुए माँ कहतीं हैं कि वस्त्र आभूषणों को ज्यादा महत्व मत देना, ये स्त्री जीवन के बंधन हैं। इनसे ज्यादा लगाव अच्छा नही है। माँ कहतीं हैं लड़की होना कोई बुराई नही है परन्तु लड़की जैसी कमजोर असहाय मत दिखना। जरुरत पड़ने पर कोमलता, लज्जा आदि को परे\xa0हटाकर अत्याचार के प्रति आवाज़ उठाना। Shaadi me pita ke dwara ladki ko dusre ghar bhejna |
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| 3746. |
संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सुर क़े भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताऍ बताइए।(surdas k pad) |
| Answer» | |
| 3747. |
Formate of formal letters |
| Answer» | |
| 3748. |
Grammar yad kerne ki easy trick |
| Answer» Bhot bhot easy hai batyu | |
| 3749. |
वीभत्स रस का उदाहरण |
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Answer» वीभत्स का अर्थ होता है जुगुप्सा (घृणा) तो इसका उदाहरण होगा "घर में लाशें बाहर लाशें जनपथ पर सड़ती है लाशें Example |
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| 3750. |
Kavi parichaya of Jay Sankar prasad |
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Answer» This que. Is not point of view of examination Book kholo bhai |
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